SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 26
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ऊर्जा का संचार होता है । बैठकर किए जाने वाले आसन शशांक आसन - इससे पाचन क्षमता बढ़ती है और मेरुदण्ड लचीला होता है । योग - मुद्रा - यह कमर दर्द ठीक करता है । नाभि खिसकी हुई तो वह भी यथास्थान आ जाती है। शीलव्रत- ब्रह्मचर्य साधना में भी उपयोगी । ध्यान की भूमिका बनाने के लिए श्रेष्ठ आसन । तितली आसन - शरीर के रिलेक्सेशन में यह उपयोगी आसन है । जंघा और पाँवों के मसल्स मज़बूत होते हैं । पीठ के बल लेटकर किए जाने वाले आसन पाद-उत्तान आसन - घुटनों के दर्द, पाँव की अंगुलियों में सनसनाहट दूर करने में उपयोगी । पवनमुक्तासन - यह आन्तरिक नाड़ियों को स्वस्थ करता है, अपान वायु निकल जाती है । कमर व पीठ दर्द को दूर करने के राजा-रानी आसन (नटराज आसन) लिए खास उपयोगी आसन । पेट के बल लेटकर किए जाने वाले आसन नौकासन – इससे सर्वाइकल पेन, पीठ-दर्द ठीक होगा, नाभि भी ठीक होगी । - धनुरासन - इससे मेरुदण्ड मज़बूत होता है। शरीर में लचीलापन आता है । सूर्य नमस्कार भी उपयोगी है। सूर्य नमस्कार की बारह मुद्राएँ करना एक तरह से सभी आसनों का योग है । इस तरह 20 मिनट योग के लिए ज़रूर समर्पित करें। योगासनों के पश्चात् शवासन या आनंदासन अवश्य करें । प्राणायाम उदर-शुद्धि प्राणायाम - कपालभाति : यह प्रयोग 2 मिनट करें। इससे उदर संबंधी सारे रोग दूर होते हैं । दिमाग शुद्धि प्राणायाम - भस्त्रिका : इसकी 20 आवृत्ति करें । Jain Education International For Personal & Private Use Only | 27 www.jainelibrary.org
SR No.003887
Book TitleYoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy