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________________ और खाना-पीना दिनरात जारी रखोगे तो पेटू या मोटू नहीं होंगे तो क्या होंगे? 1 घंटा नियमित योग कर लीजिए और वो भी पूरे दिल से । फिर आप भले ही ज़्यादा केलौरी का भोजन करें। योग आपके तन-मन को फिल्टर कर देगा । योग करने के लिए खुला वातावरण हो, कमरे में करें तो दरवाजे खुले रखें ताकि शुद्ध हवा और प्रकाश हम तक पहुँच सके और उसका भी हमें लाभ मिले। दूसरी बात : योगासन प्रसन्न मनोदशा के साथ किए जाएँ। अगर मन प्रफुल्लित है तो योग हमें अधिक लाभ दे सकेगा । बेमन से, निराशा से किया गया योग समुचित परिणाम न दे सकेगा। व्यक्ति की मनोदशा उसके प्रत्येक कार्य में सहायक होती है । किसी भी कार्य को करने से पहले बाहर से, भीतर से मुस्कुराएँ । यह परम - पिता परमेश्वर को समर्पित सर्वश्रेष्ठ पुष्प है । अब तीन बार 'ॐ' कार ध्वनि, यह ब्रह्माण्ड में व्याप्त परम चेतना को अपनी ओर आमंत्रित करने का तरीका है । इसके बाद तीन बार नवकार मंत्र, तीन बार गायत्री मंत्र और तीन बार शांति पाठ कर लें । नवकार मंत्र द्वारा आप संसार की सर्वश्रेष्ठ शक्तियों को नमन समर्पित करते हैं और कामना करते हैं कि समस्त जीवों का मंगल हो और हमारे पापों का नाश हो । गायत्री मंत्र के द्वारा हम भावना करते हैं कि हे भगवान, हमारी बुद्धि आपकी ओर बढ़ती रहे अर्थात् हमारे जीवन के अंधकार में भी आपका प्रकाश सदा व्याप्त रहे । शांति पाठ के द्वारा हम कामना करते हैं कि संसार में सभी सुखी, निरोगी हों। हम सब एक दूसरे का भला चाहें । हमारे द्वारा किसी को किंचित भी कष्ट न हो । अब योगासन शुरू करें। वे योगासन जो सीधे-सरल हैं, जिन्हें लगभग हर उम्र के व्यक्ति कर सकते हैं । योगासन खड़े रहकर किए जाने वाले आसन ताड़ासन - इससे शरीर की जड़ता और प्रमाद दूर होगा। अर्धकटिचक्र आसन - इससे पसलियाँ मज़बूत होती हैं, जाँघ और हाथों का तनाव दूर होता है । पाद-हस्त आसन – इससे पेट के रोग, उदर-विकार और मोटापा दूर होता है । त्रिकोण आसन – इससे जंघा, बैठक की मांसपेशियाँ और आँतों की मज़बूती प्राप्त होती है। - कदम ताल - इससे संपूर्ण शरीर का रक्त प्रवाह दुरुस्त होता है। शरीर में 26 | Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003887
Book TitleYoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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