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________________ आज सभी योगासनों के महत्त्व को समझ रहे हैं । इसका प्रचार-प्रसार विदेशों तक हो गया है। इससे अवश्य ही कुछ-न-कुछ लाभ मिल रहा है। आज कोई मोटापे से पीड़ित है, किसी के सिर में दर्द रहता है, माइग्रेन की शिकायत है, किसी को मधुमेह हो गया है, कोई कमर दर्द से परेशान है, किसी के घुटने दुख रहे हैं। लगभग सभी लोग किसी-न-किसी रोग से ग्रस्त हैं । ऐसी स्थिति में लोगों ने चाहे किसी के भी जरिए किया, योगाभ्यास तो किया। मैं यह नहीं कहता कि योग करने से सभी रोगमुक्त हो गए, पर साइड इफेक्ट तो कुछ नहीं हुआ, लाभ कुछ-न-कुछ ज़रूर हुआ। हम सभी को प्रतिदिन कम-से-कम बीस से तीस मिनट तक योगाभ्यास अवश्य ही करना चाहिए । अगर कोई आसन या योगक्रिया नहीं आती तो आधा घंटे तेज गति से टहल कर आ जाएँ, यह भी योग का एक प्रकार है । हमें तो शरीर को एक्टिव करना है। हमें अपनी देह की फिटनेस के लिए योग से दोस्ती कर लेनी चाहिए। सभी सेलिब्रिटीज प्रतिदिन आधा से एक घंटा योग करते हैं तभी तो वे दिन भर ऊर्जावान रहते हैं और अपने कार्य को लक्ष्य तक पहुँचा पाते हैं । कोई भी कलाकार हो, खिलाड़ी हो, उद्यमी हो या अभिनेता-अभिनेत्री हों, सभी ने योग को अपना रखा है। आज कल सफल व्यक्ति ही हर नौजवान का आदर्श होता है लेकिन क्या कभी आप उनकी दिनचर्या देखते हैं? वे सभी प्रातःकाल सूर्योदय के पूर्व जगते हैं और योगासन या टहलने से अपने दिन की शुरुआत करते हैं । स्वस्थ रहने के लिए यह आवश्यक है। दवाओं से परहेज नहीं है, लेकिन तभी लीजिए जब लगे कि अब बिना दवा के ठीक नहीं हुआ जा सकता । अन्यथा शरीर रोगधर्मा तो है ही, दवाधर्मा और हो जाएगा। जीना है तो चार गोली रोज खाओ । हम शरीर की फ़ितरत समझें । शरीर ही रोग पैदा करता है और इसमें ही रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी होती है । आप दवा की बज़ाय योग अपनाएँ । योग हमें ताक़त देता है। योग शक्तिवर्धक टॉनिक है । आपने क्रान्तिकारी शहीद रामप्रसाद बिस्मिल का नाम सुना होगा। उनके जीवन की कहानी पढ़कर मैं चमत्कृत और आनन्दित हुआ कि कोई व्यक्ति योग के प्रति कितनी सुदृढ़ आस्था रखता है । मुझे पढ़ने को मिला कि 'बिस्मिल' को फाँसी की सजा हो चुकी थी। जिस दिन उन्हें फाँसी लगने वाली थी जेलर उनके पास सूचना लेकर गया कि आज अमुक समय पर आपको फाँसी पर लटकाया जाएगा। जब जेलर बिस्मिल की कोठरी पर पहुँचा तो उसने देखा कि रामप्रसाद बिस्मिल योगप्राणायाम कर रहे हैं और प्रभु प्रार्थना में लीन हैं, आनन्द- दशा उनके चेहरे पर कायम 18 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003887
Book TitleYoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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