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मध्यम चल पड़ी। अगर श्वास लेने में पाँच सेकंड लगे हैं तो छोड़ने में भी पाँच सेकंड लगने चाहिए। चाहे पूरक हो या रेचन-एकलय होना चाहिए। मैं स्वयं तो प्राणायाम की लय में बाँसुरी बजाता हूँ। जब प्राणायाम करता हूँ तो लगता है सरगम चल रहा है। वैसे भी साँस और बाँस जुड़ जाए, साँस और बाँस का संगम हो जाए तो बाँसुरी ही बनेगी न्! जब साँस और बाँस का संतुलन हो जाए तो संगीत पैदा हो जाता है। जब हम आनन्दमयी मनोदशा के साथ साँस लेते और छोड़ते हैं तो यह मुरली के संगीत जैसा ही सुकून प्रदान करेगा।
प्राणायाम में श्वास के द्वारा तन और मन को ठीक करते हैं। इससे रोग कटते हैं, नकारात्मक भावों का शमन होता है। इस तरह प्राणायाम में तीन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए - सचेतनता, गहरी श्वास-प्रश्वास और लयबद्धता। कहा जाता है कि प्राणायाम चिर यौवन की कुंजी है। जो व्यक्ति बीस मिनट प्राणायाम और बीस मिनट योगासन करता है वह उम्र से भले ही बूढ़ा हो जाए, पर तन और मन से बूढ़ा नहीं होता। वह ऊर्जावान बना रहता है क्योंकि उसने प्राणायाम के द्वारा, प्राणवायु के द्वारा अपने बूढ़े होते हुए शरीर को फिर से ऊर्जावान बनाने के लिए प्रयत्न किया।
__ आप जानते हैं तिब्बत एक बर्फीला देश है। वहाँ इतनी ठंड होती है कि व्यक्ति ठिठुर कर मर जाए। लेकिन तिब्बत के बौद्ध भिक्षु एक ही वस्त्र में अपने दिन और रात आराम से निकाल लेते हैं। वे केवल एक ही कार्य करते हैं - श्वास और ध्वनि का एक घर्षण करते हैं। साँस और बाँस मिलते हैं तो संगीत पैदा होता है और श्वास व ध्वनि के मिलने से शक्ति पैदा होती है। तिब्बती भिक्ष जिस मंत्र की ध्वनि का प्रयोग करते हैं वह है - ओऽम् मणि पद्मे हुम्। इस मंत्र के उच्चारण के साथ वे इतनी लयबद्ध श्वास लेते हैं कि उनकी सर्दी दूर हो जाती है और पसीना भी टपकने लगता
है।
यहाँ योगीराज सहजानंद जी महाराज हुए हैं। मैं उनसे प्रभावित रहा हूँ। मैंने उनकी गुफा में साधना की है। कहते हैं कि माघ के महीने में रेत के टीलों पर वे रात भर निर्वस्त्र होकर बैठे रहते थे। रात भर वे गहरी लम्बी श्वास और ॐ मंत्र का उपयोग करते थे और देखने वाले बताते हैं कि उनके शरीर से पसीना टपकता रहता था। लयबद्ध श्वास और मंत्रध्वनि का लयबद्ध प्रयोग किया जाए तो अपने आप ऊर्जा जाग्रत होती है। हमने भी ॐकार ध्वनि-विधि विकसित की है। उसमें केवल दो ही चीज़ों का ध्यान रखा गया है - श्वास और ॐकार ध्वनि। इन दोनों का एक खास ढंग विकसित किया गया, लयबद्धता बिठाई गई कि महामंत्र-बीजमंत्र 'ॐ' और
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