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________________ हमारी श्वास दोनों मिलकर हमारे चित्त में एकलयता, एकाग्रता लाएँ, हमारे जीवन के तमोगुण को वे काटें, शरीर के रोगों को भी काटें और हमारी चेतना को जगाने में. हमें आत्मवान बनाने में मददगार बनें। इस ऊँकार-विधि में हम मंत्र-स्मरण के साथ सहज, दीर्घ, मद्धम और तीव्र श्वास का प्रयोग करते हैं। 10 सहज, 10 दीर्घ, 10 मद्धिम, 10 तीव्र । संख्या को घटाया-बढ़ाया जाता है। 10 को 20, 30 को 40 भी बनाया जा सकता है। अभ्यास में धीरे-धीरे बढ़ाया जाता है। सहज, दीर्घ, मद्धिम, तीव्र साँस की आवृत्ति को 5 से 10 बार दोहराते हैं। इससे ऊर्जा जागृत हो जाती है। श्वास हमें शक्ति व ऊर्जा देती है। यह जीवन का आधार है। चिर-यौवन की कुंजी है। श्वास सौन्दर्य देता है, बुढ़ापे को दूर रखता है। पतंजलि कहते हैं कि आसन स्थिर होने पर श्वास प्रश्वास की गति को रोकना प्राणायाम है। अब हम जानेंगे कि प्राणायाम कैसे करें! किसी को अगर कोई प्राणायाम नहीं आता, वह कोई नाम नहीं जानता तो एक काम करे - किसी खुले स्थान पर, या कमरे में रहें तो सारे खिड़कीदरवाज़े खोलकर, एक कम्बल का आसन बिछा लें, उस पर सफेद चादर डाल लें, वस्त्र ढीले व आरामदायक पहनें। कसे हुए कपड़े प्राणायाम में बाधक बनते हैं क्योंकि जब श्वास गहरी लेंगे तो सकारात्मक प्रभाव आएँगे, दबाव बनेगा, ऊर्जा जागेगी, वह शरीर के षट्चक्रों को प्रभावित करेगी, उसमें टाइट कपड़े बाधक बन जाएँगे।अत: ढीले वस्त्र पहनें। हो सके तो कमर पर बँधी डोरी व नाड़ी को भी ढीला रखें। हमारे शरीर के षट्चक्र-कुंडलिनी या मूलाधार, स्वाधिदष्ठान, मणीपुर, अनाहत, विशुद्धि चक्र, आज्ञा चक्र और ब्रह्मरंध्र सहस्रार - यह जो योग की व्यवस्था है वह प्राणायाम के द्वारा प्रभावित होती है, सक्रिय होती है। निवृत्ति शौच आदि से फारिग होकर, स्नान करके प्राणायाम करें। शौच से निवृत्त हुए बिना प्राणायाम करने से दूषित अपान वायु शरीर के लिए हानिप्रद हो जाएगी। खुली हवा में बैठना चाहिए ताकि हमें अधिक-से-अधिक ऑक्सीजन, शुद्ध प्राणवायु उपलब्ध हो सके। मन के विचारों को सकारात्मक रखें, प्रसन्नचित्त होकर किया गया प्राणायाम हमें जीवन-ऊर्जा से भर देगा। प्राणायाम ऐसे आसन में करना चाहिए जिसमें आप देर तक सहज रूप से बैठे रह सकें। जैसे - सुखासन, वज्रासन, पद्मासन, स्वस्तिक आसन आदि। कमर, मेरुदण्ड सीधा रहे, गर्दन भी सीधी रखें क्योंकि जब प्राणायाम करेंगे तो इड़ा, पिंगला, सुषम्ना नाड़ियाँ जो मेरुदण्ड से जुड़ी हैं वे भी इसके प्रभाव में आएँगी। प्राणायाम से जाग्रत जीवन-ऊर्जा को नीचे 130/ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003887
Book TitleYoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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