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________________ क्या हम समझ पाएँगे भगवान की तपस्या का रहस्य ? लोग आठ-सोलह-तीस दिन तक उपवास करते हैं, लेकिन उनका ध्यान उस तरफ रहता है कि कितने लोग उनकी साता पूछने आए। बहु उपवास करेगी तो सास कहेगी-तेरे पीहर से कोई साता पूछने भी नहीं आया। देवरानी और जेठानी ने सोलह-सोलह दिन की तपस्या की। जेठानी के पीहर वाले साधन- सम्पन्न थे। उन्होंने पारणे के दिन चार सोने की चूड़ियाँ व एक चैन भेजी। देवरानी के पीहर वाले गरीब थे, इसलिए वहाँ से एक साधारण-सी साड़ी आई। ___ अब सास की नजरों में बड़ी बहू की तपस्या ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो जाएगी। देखता हूँ लोगों की भी आदत, वे चलाकर पूछते हैं तपस्या पर तुम्हारे पीहर से क्या आया? सास ने क्या दिया? महिलाएँ गीत गाती हैं 'रुपया सूं मूठ भराओ, थारी बहिना करी रे अठाई। तपस्या का रुपयों से क्या सम्बन्ध! देखता हूँ, सम्पन्न लोग तपस्या को भी शादी-विवाह की तरह धन-प्रदर्शन का साधन बना लेते हैं। ____तपस्या क्या सोने-चांदी के आभूषण पाने के लिए की गई थी ? तपस्या तो जीवन के विकार और बढ़ती इच्छाओं को कम करने के लिए है। तपस्या का उपयोग संसाधनों को पाने के लिए या मात्र भूखे रहने के लिए मत करो। भोजन का उपवास न कर सको तो कोई बात नहीं, अपने भीतर के कषाय समाप्त करने का उपवास जरूर कर लेना। अपने क्रोध को समाप्त करने का उपवास कर लेना। तुम्हारा 'उपवास' हो जाएगा। अन्यथा केवल शरीर के साथ की गई जबरदस्ती से तपस्या परिणाम न दे पाएगी। और उपवास करें तो इतने गोपनीय ढंग से करें कि आपके घरवालों के अलावा किसी को पता नहीं चल सके। तपस्या कोई प्रचार की चीज नहीं है। यह तो तन-मन को निर्मल करने का साधन है। तपस्या तो आत्म-महोत्सव है, जीवन को सँवारने की शैली है। तपस्या को तन से ऊपर उठाएँ, मन में लाएँ। आप भले ही तीस नहीं, सोलह नहीं, यहाँ तक कि आठ भी नहीं, केवल एक उपवास कर लें, बस अपने मन को शान्त-निर्मल करने का विनम्र प्रयास करें। होता यह है कि आदमी आठ-दस दिन तक तो किसी तरह उपवास कर लेते हैं, लेकिन बाद में उनसे न तो ढंग तप का ध्येय पहचानें Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003886
Book TitleDharm Aakhir Kya Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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