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________________ सूत्र है जं जं समयं जीवो, आविसइ जेण जेण भावेण । सो तंमि तंमि समए, सुहासुहं बंधए कम्मं || ‘जिस समय जीव जैसे भाव करता है उस समय वैसे ही शुभ-अशुभ कर्मों का बंधन करता है ।' हम मनुष्य के कृत्यों से उसके कर्म का आकलन नहीं कर सकते । अबोध और अज्ञानी जो कार्य करता है वही ज्ञानी संत करते हैं, पर पहले वाले को कर्म-बंध होगा, दूसरे को नहीं । जैसे, कहीं पर चींटियों का झुंड जा रहा हो तो एक अज्ञानी चींटियों को न मारकर भी दोष का भागी बन जाता है और ज्ञानी से चींटी मरकर भी अछूता रह जाता है। बिना विवेक के किए गए कार्य दोषपूर्ण होते हैं और होशपूर्वक जागरूक प्रज्ञा के साथ किए गए कार्य कर्म-निर्जरा करते हैं। भगवान कहते हैं कि उसका कर्मास्रव वैसे ही होता है जैसे चदरिया पर लगी मिट्टी । सूखी चादर पर लगी मिट्टी की उम्र उतनी है, जब तक उसे झटका न जाय । ठीक उसी तरह जब तक झटका न दे दें तब तक कर्मों का बंधन है। अज्ञानी पुरुष विचार - ही विचार में निरंतर कर्मों का बंधन करता जाता है । हम उस परम्परा के अनुयायी हैं, जहाँ पानी छानकर पिया जाता है, चींटी को जीवनदान दिया जाता है, लेकिन यह सब व्यावहारिक हिंसा से बचने के उपाय हैं। क्या कभी हमने जाना कि हम कितनी आन्तरिक हिंसा करते हैं। मानसिक हिंसा, विचार और भावों से की जाने वाली हिंसा का अपराध कहाँ जाएगा ? क्या हम इनसे मुक्त हो पाए। तुम बाह्य रूप से किसी को नहीं मारते-पीटते, लेकिन भावों में, विचारों में इससे बच पाए ? व्यक्ति के भाव ही व्यक्ति को कर्म से बाँधते हैं और यही भाव मुक्त भी करते हैं । एक व्यक्ति जिसे कुष्ठ रोग है, उसे मारने के लिए उसका मित्र प्रतिद्वन्द्वी उसे विषपान करा देता है। लेकिन आश्चर्य कि यह विष उसके कुष्ठ रोग को समाप्त कर देता है । वह अपने प्रतिद्वन्द्वी मित्र के प्रति कृतज्ञ है । उसे धन्यवाद दे रहा है। लेकिन क्या वह सचमुच धन्यवाद का पात्र है, नहीं । भगवान कहते हैं वह पापी है। दूसरी ओर एक डॉक्टर है जो रोगी का जीवन बचाने के लिए ऑपरेशन करता है और कोई रक्तवाहिनी क्षतिग्रस्त हो जाती धर्म, आखिर क्या है ? 48 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003886
Book TitleDharm Aakhir Kya Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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