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विनम्रता की चाबी थामिए,
अंहकार का हथोड़ा नहीं अंगर आपका जीवन रूखा-सूखा हो गया है तो तुरंत उसकी .. जड़ों में विनम्रता का पानी देना शुरू कर दीजिए।
वर्तमान युग में जिन गुणों का ह्रास हो रहा है, उनमें एक है – विनम्र भाव। हज़ारों वर्षों से मानव इस गुण को आत्मसात् किए हुए था पर आज ऐसा प्रतीत होता है कि उसने अपने गुणों की श्रृंखला में अन्य कतिपय गुणों के साथ 'विनय' को बाहर कर दिया है। उसके दुष्परिणाम उदंडता, अनुशासनहीनता, अपराधवृत्ति, चरित्रहीनता सामने हैं।
एक पुत्र ने अपने पिता से कहा, पिताजी आप विनम्रता को सबसे बड़ा गुण मानते हैं मुझे इसके बारे में प्रेक्टिकल रूप से समझाइए। पिता ने मन में सोचा पुत्र ने बहुत अच्छी बात कही है मुझे इसे समझाना चाहिए। वह अपने पुत्र को लेकर अपने पिताजी के पास जाता है और झुककर आदर के साथ प्रणाम करता है। पुत्र ने यह देखा तो समझा कि पिताजी मात्र प्रणाम के लिए कहते ही नहीं है करते भी हैं । फिर पुत्र ने इन दोनों को संघ के अध्यक्ष को नमस्कार करते देखा। संघ अध्यक्ष प्रदेश के मंत्री को, मंत्री मुनि को और मुनि किन्हीं आचार्य
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