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________________ उनके प्रवचन आम इंसान को जीवन का सद्मार्ग प्रदान कर रहे हैं। वहीं उनका निर्मल चरित्र हमें अपने चरित्र निर्माण की प्रेरणा दे रहा है । प. पू. प्रवर्तिनी महोदया के आत्मकल्याणकारी आध्यात्मिक प्रवचनों से लाभान्वित होने का सुअवसर हम सभी को सदा प्राप्त होता रहे इसी पवित्र भावना से कोलकाता के पंचायती मन्दिर ट्रस्ट ने प. पू. मालवमणि गुरुवर्या श्री जी के प्रवर्तिनी पद अलंकरण समारोह के पावन प्रसंग पर युगीन समस्याओं के समाधान हेतु सारगर्भित प्रवचनों से सम्बद्ध पुस्तक को सर्वजनहिताय की मंगल कामना से प्रकाशित करने का संकल्प लिया। प्रस्तुत पुस्तक 'बेहतर जीने की कला' उसी संकल्प और सोच का परिणाम है । एतदर्थ ट्रस्ट साधुवाद का पात्र है । प्रसन्नता है कि एक वर्ष पश्चात् उनकी भावना साकार रूप लेने जा रही है । प्रस्तुत पुस्तक में धर्म, सदाचार, सद्व्यवहार, नीति, सन्तोष, करुणा, मैत्री, एक्यभावना, दृष्टि साम्य, सेवा आदि से सम्बन्धित विषयों का संकलन है । जिन्हें सरल, सुगम शब्दों में विश्लेषण - विवेचन करने का विनम्र प्रयास है । आशा है, अध्येता आध्यात्मिक प्रवचनों को हृदयंगम कर समाधान एवं शान्ति को प्राप्त कर आत्मवेदी पर प्रतिष्ठित हो सकेंगे। अन्त में एक तथ्य जिसे अभिव्यक्त करना आवश्यक है कि प. पू. प्रवचन प्रभावक श्री ललितप्रभ सागर जी म.सा. के प्रति हम अन्तःस्थ से प्रणत होकर वन्दन करते हैं कि आपने सम्पादन कार्य को नवीन दिशा प्रदान की । प्रवचनों को संकलित करने की संपूर्ण प्रेरणा प.पू. चिन्तनशीला साध्वीरत्ना श्री चन्दनबाला श्री जी म. सा. द्वारा मुझे समय-समय मिलती रही । प्रस्तुत पुस्तक आपको गुरुवर्या श्री के संदेशों को आत्मसात् करने में मित्रवत् सहयोग प्रदान करेगी। आप इसे अपने यात्रा - प्रवास में भी साथ लेकर जाएँ। इस प्रवचन पुस्तक से बेहतर जीवन का मार्ग दर्शन पाते रहें । - डॉ. सरोज कोचर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003884
Book TitleBahetar Jine ki Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhashreeji
PublisherJain Shwetambar Panchyati Mandir Calcutta
Publication Year
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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