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कि हमारी जिंदगी भी इसी तरह से उत्तेजनाओं और वैर-वैमनस्य से घिरी हुई है। अब आप ही सोंचे कि हमें कैसे जीना है?
हम मानकर चलें कि जब हम घर जायेंगे तो हमारी पत्नी हम पर चिल्लाएगी। हम उस समय भी उतने ही शांत रहें जितने कि पहले थे। यह पहले से तैयारी रखें कि जहाँ हम जा रहे हैं वहाँ के लोग हमारे साथ दुर्व्यवहार करेंगे, पर हम शांत रहेंगे।
जिंदगी में हर आदमी की स्थिति उस पेड़ पर लटकते व्यक्ति की भांति संत्रासों से घिरी रहती है। मैं आपको जिंदगी की रचनात्मकता देना चाहता हूँ। मैं आपसे यही अनुरोध करूँगा कि बाधाएँ तो जिंदगी में यूं ही आती रहेंगी पर जिस व्यक्ति ने शहद का रस पाने के लिए अपनी दृष्टि को ऊपर उठाया है, अपनी आत्मा को आकाश की तरफ उठाया है तो वह उसको उठाए ही रखे। बाधाएँ यों ही आती रहेंगी, लोग यं ही गालियां निकालते रहेंगे, यूं ही कोई महावीर के कानों में कीले ठोकता रहेगा और जीसस को सलीब पर चढ़ाता रहेगा। कोई किसी को कांटों का ताज पहनाता रहेगा पर जिंदगी की रचनात्मकता तो यही है कि हमने जिस आत्मा को आकाश की तरफ उठा लिया है अब उसको गिरने नहीं देंगे और जिंदगी के माधुर्य का, आत्मा के माधुर्य का, अस्तित्व के माधुर्य का जब तक की अंतिम जिंदगी है, तब तक की अंतिम बूंद लेने की कोशिश करते रहेंगे।
___ अपनी निराशा को दूर फेंको। अनुत्साह को अपने से हटाओ। अपनी बोझिलताओं को दूर फेंको। जैसे कोई आदमी दिन भर खाना खाता है और उसे शौच नहीं लगती तो वह क्या करेगा? और दूध नहीं पीए तो कब्ज हो जाएगी। यदि दूध में इसबगोल नहीं डाले तो भी कब्ज हो जाएगी। मैं कहूँगा कि वह थोड़ा सा इसबगोल और लेले क्योंकि हमारे दिमाग को भी थोड़ी सी कब्ज हो गई है। एक कब्ज है तो सौ रोग हैं। ऐसे ही हमारे दिलोदिमाग में भी कब्ज है। हर प्राणी को कब्ज रहती है और कोई इसका अपवाद नहीं रहता है।
सभी का दिमाग कब्ज वाला है। किसी को ज्यादा कब्ज है तो किसी जीवन में अपनाएँ निश्चितता का नज़रिया
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