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ऐसी स्थिति में छः लोग महापथ की ओर बढ़ रहे हैं। वे नगर से बाहर जा रहे हैं। नगर के सभी परिजन उनके सामने खड़े हैं। जाते-जाते भृगुपुत्र अपनी ओर से एक संदेश दे रहे हैं
जा जा वज्जइ रयणी, न सा पडिनियत्तइ ।
अहम्मं कुण माणस्स, अफला जंति राइओ।। कहते हैं 'जो-जो रातें जा रही हैं वे वापस लौटकर आने वाली नहीं हैं। जो मनुष्य अधर्म कर रहा है उसकी रातें निष्फल चली जाती हैं।'
__ यह नहीं कहा कि अधर्म करने वाले के दिन निष्फल चले जाते हैं, वरन् यह कहा कि अधर्म करने वाले की रात्रियाँ निष्फल चली जाती हैं। यह जीवन की मनोविज्ञान है। जैसा दिन होगा वैसी ही रात होगी। हर रात दिन का ही प्रतिबिम्ब है। दिन यदि धार्मिक हुआ तो रातें भी धार्मिक ही रहेंगी। जिनके दिन अधार्मिक होते हैं निश्चित ही उनकी रातें भी अधार्मिक ही होंगी। हमें रातों को सफल करना है। तुम्हारे लिए तो रातों को सफल करने का अर्थ हनीमून मनाना है। एक शहद टपकता हुआ चाँद, माधुर्य बरसाती चाँदनी और लोग समझते हैं यही जीवन का सुख है, रस है। ___ वेद कहते हैं 'रसो वै सः'- परमात्मा रस रूप है और आपको दाम्पत्य जीवन 'रसो वैसः'लगता है- यही फ़र्क है। पूनम का चाँद तो बहत रस देता है, पर आज अमावस्या के घनघोर अंधकार में भी शहद टपका सकता है। किसी ने न कहा होगा कि रातें भी सफल हों क्योंकि तुम्हारी रातें निष्फल जाती हैं। दिन में तो जागे भी रहते हो, पर रात में पूरी तरह सोये हो। दिन में जिन चीज़ों को पढ़ा है जिन बातों को सिरजा है,रात में स्वप्न के रूप में उन्हीं को देखते हो और रातें दोषपूर्ण हो जाती है,सषप्त और स्वप्निल हो जाती हैं। कोई रात सत्य के समीप नहीं होती।
रात में स्वप्न चलते हैं। दिन में तो अगर चोरी भी करना हो तो दस दफा सोचते हैं कि कोई देख लेगा लेकिन सपनों में जो भी चाहे, जितना मन में आये लूट लो, पूरी दुनिया को लूट लो। अब दिन में तो आँखों को नियंत्रण में रखना पड़ता है, लोग बोलेंगे इधर-उधर घूर रहा है, कुदृष्टि रखता है पर रात में....! वह स्वतंत्र है स्वप्न में कुछ भी करने के लिए। पर मिलेगा क्या? सिवाय भ्रांतियों के! अपनी रातें निष्फल बना लोगे। दिन में तो फिर थोड़े-बहुत बचे रहोगे, पर रात में बेलगाम घोड़े बन गए। आत्म-नियंत्रण न रहा।
जो आत्म-विजेता और आत्म-नियंता होता है उसी की रातें सफल होती हैं। वह सपनों में रातें नहीं बिताता। स्वास्थ्य और आरोग्य के लिए वह निद्रा लेता है, केवल सोने के लिए सोया नहीं रहता। दिन में अनेक संभावनाएँ रहती हैं, किसी से
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