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फिर से कोई आत्मा जागे
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कहते हैं : सम्राट ब्रह्मदत्त रात्रि में नाटक-अभिनय देख रहे थे। नाटक देखतेदेखते वे अत्यधिक विचार-मग्न हो गए। विचार-मग्नता इतनी गहरी हो गई कि वे वर्तमान से ठेठ अपने अतीत के जन्मों में उतरते चले गए और उन्हें पूर्व-जन्मों का स्मरण हो गया। ब्रह्मदत्त अपने पूर्व-जन्मों में से किसी एक जन्म के भाई का स्मरण कर शोक-विह्वल हो उठा। उसने देखा- वह और उसका भाई पूर्व-जन्मों में संन्यस्त जीवन व्यतीत कर आए हैं, लेकिन मरने के पूर्व चक्रवर्ती सनत् कुमार का अत्यन्त वैभवपूर्ण जीवन देखकर संकल्प किया था कि आगामी जन्मों में मुझे ठीक इसी प्रकार का वैभव प्राप्त हो। उसी संकल्प के परिणाम में उसे चक्रवर्ती सम्राट का यह जन्म मिला। ___ अपने भाई को ढूँढ़ने के लिए उसने एक श्लोक लिखा, लेकिन उसे अधूरा ही छोड़ दिया। वह अधूरा श्लोक उसने हर मुँह तक दूर-दूर पहुँचा दिया, यह सोचकर कि अगर मेरा भाई मानव जाति में जन्मा है, तो इस श्लोक की पाद-पूर्ति करेगा। योगानुयोग, ब्रह्मदत्त का भाई भी पृथ्वीलोक में जन्मा था, लेकिन विरक्त होकर मुनि हो गया था, नाम था चित्रमुनि, जब उसने किसी पनिहारिन के मुँह से यह आधा श्लोक सुना, तो शेष आधे की पूर्ति कर सम्राट को भिजवा दिया। सम्राट प्रमदित हो उठा।अपने सात जन्म पूर्व के भाई को पाकर उसका हृदय गद्गद् हो गया।
सम्राट मुनि के पास पहुँचा और अनुरोध किया कि वह वापस संसार में आए
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