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________________ जीवन का करें काया-कल्प - - Ramananewmomammi बहुत पुरानी घटना है - हरिकेशबल नामक एक आध्यात्मिक संत हुआ। संत वाराणसी के गंगा तट पर ध्यानमग्न था। तभी वहाँ की राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ गंगा किनारे रमण करने आई। उसे पता चला कि वृक्ष के नीचे साधनारत वह संत चाण्डाल-जाति का है। राजकुमारी को उससे वितष्णा हई, घृणा हई कि चाण्डाल जाति का व्यक्ति तपस्या करे। उपेक्षा से भरकर उसने संत के मुँह पर थूक दिया। संत की सेवा में यक्ष व किन्नर रहते थे। उन्हें राजकुमारी का यह अभिमान से भरा संत का अपमान सहन न हुआ। यक्ष के प्रभाव से राजकुमारी अस्वस्थ रहने लगी। उसे खून की उल्टियाँ होने लगीं। वह असाध्य रोग से पीड़ित हो गई। नाना प्रकार के इलाज के बाद भी रोग थम न पाया। तब राजा ने घोषणा करवाई कि जो भी राजकुमारी को निरोग कर देगा, उसी के साथ राजकुमारी का विवाह होगा। यक्ष ने राजकुमारी के शरीर में प्रकट होकर कहा कि राजकुमारी ने जिस संत के मुँह पर थूका है, उसके साथ यदि इसका विवाह करवा दिया जाए तो राजकुमारी स्वस्थ हो जाएगी। पिता व पुत्री राजपुरोहित के साथ संत की सेवा में पहुँचे। राजकुमारी को वरण करने का निवेदन किया। संत ने स्पष्ट इन्कार कर दिया और कहा - मैं तो संत हूँ और इसने मेरा तनिक भी अपमान नहीं किया है। जो सम्मान और अपमान के भाव से मुक्त है, उसके लिए राजकुमारी के वरण का प्रश्न ही नहीं उठता। मैं यक्ष को अपनी ओर से निवेदन करूँगा कि वह राजकुमारी को क्षमा कर दे। संत की यह अमृतमय वाणी सुनकर 149 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003882
Book TitleBanna Hai to Bano Arihant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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