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समय का करें सार्थक उपयोग
दुनिया में दो प्रकार की स्थितियाँ हैं - शीत- ऊष्ण, उदय-अस्त, रात-दिन, सुख-दुख, संयोग-वियोग, जन्म-मृत्यु- ये सभी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । इनके अतिरिक्त कोई स्थिति नजर आती है, तो वह मन की आँखों का भ्रम है। सिर्फ़ दो ही स्थितियाँ हैं । प्रकाश के अभाव का नाम अंधकार है । किसी तत्त्व से ऊष्णता समाप्त होगी, वह तत्त्व स्वत: शीतल हो जाएगा। यह जीवन और दुनिया की तासीर
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है ।
सूर्य उदय के साथ ही पश्चिम की ओर अपनी यात्रा प्रारम्भ कर देता है। सूर्य चलता हुआ न भी दिखाई दे, लेकिन पश्चिम की ओर ही अग्रसर होता है। सूर्य ने उदय के बाद कभी पूर्व की यात्रा नहीं की, पश्चिम की यात्रा की है; फिर वह भले ही पश्चिम से पूर्व में आ जाए। जो जन्म लेता है उसके जीवन में अनिवार्यत: मृत्यु घटित होती है। मृत्यु जीवन का उपसंहार और जन्म जीवन की भूमिका है।
मृत्यु दिखाई नहीं देती, केवल प्रतिभासित होती है । जैसे अंधकार में अट्टहास करने वाले व्यक्ति को देखा नहीं जा सकता, केवल उसके अट्टहास की ध्वनि सुनाई पड़ती है, ऐसे ही मृत्यु को देखा नहीं जा सकता। जीवन मृत्यु का छोटा-सा अंश है। जैसे बादल बिजली की चमक में थोड़े से समय के लिए प्रतिभासित होते हैं, ऐसे ही जीवन है । कुछ क्षणों के लिए रहता है और फिर मृत्यु में विलीन हो जाता है ।
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