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________________ लोभ पर लगाएँ लगाम श्रावस्ती नगरी में कपिल नाम का युवक अध्ययन के लिए गुरुकुल में प्रविष्ट हुआ।गुरुकुल की परम्परानुसार कपिल भोजन के लिए शालिभद्र सेठ के यहाँ जाता था। प्रतिदिन, एक दासी उसे भोजन करवाती थी। योगानुयोग, प्रतिदिन के मेलमिलाप से दोनों के मध्य प्रेम-संबंध स्थापित हो गए। तभी उस नगर में एक मेला आयोजित हआ।दासी ने कपिल से निवेदन किया कि कल हमें मेले में शामिल होना है, लेकिन खर्चे के लिए हमारे पास पैसा नहीं है। तुम ऐसा करो कि यहाँ जो नगर सेठ है, उसके पास प्रात:काल पहुँच जाओ। प्रात:काल जो ब्राह्मण सबसे पहले उसके यहाँ दान लेने आता है, वह सेठ उसे दो माशा स्वर्ण देता है। __कपिल ने अपनी प्रेमिका को संतुष्ट करने के लिए नगर श्रेष्ठि के यहाँ दान लेना स्वीकार किया। अगला दिन ही मेले का दिन था।अगर सुबह चूक गया तो दान लेने से वंचित रह जाऊँगा। रात्रि में ऐसा विचार करते हुए सो गया, पर आधी रात को उठ बैठा और सोचने लगा शायद ब्रह्ममुहूर्त की वेला आ गई ।सुबह हो उससे पहले ही मैं नगर श्रेष्ठि के द्वार पर जाकर बैठ जाऊँ, ताकि प्रभात हो और दान मिल सके। वह गुरुकुल से चल दिया। वह कोट पार कर ही रहा था कि चौकीदारों ने उसे पकड़ लिया। अर्धरात्रि के समय कोई नगर कोट से निकले तो निश्चित वह चोर ही होगा, ऐसा चौकीदारों ने निर्णय लिया। कपिल पर चोरी का आरोप लगाया गया। कपिल ने बहुतेरा कहा कि वह चोर नहीं है, पर उसकी बात को स्वीकारा नहीं गया 29 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003882
Book TitleBanna Hai to Bano Arihant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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