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अनसुने रह गए। ___ महावीर का मार्ग योद्धा का मार्ग है और संघर्ष उनका सूत्र है। संकल्प उनके मार्ग की नींव है। सहिष्णुता उनके मार्ग का संबल और पाथेय है। जो लोग जिनत्व की यात्रा करना चाहते हैं, उनके लिए महावीर मानस-मित्र, कल्याण-मित्र और साधना के मार्ग पर नींव के पत्थर हैं, मील के पत्थर हैं। वे परम-यथार्थ और परमआदर्श भी हैं। महावीर और राम में इतना-सा ही फ़र्क है कि राम धरती के दानवों का संहार करते हैं और महावीर अपने भीतर के दानवों का संहार करते हैं। कृष्ण कंस और जरासंध की मृत्यु के लिए अवतार लेते हैं । शिशुपाल के सौ गुनाहों को क्षमा कर अन्ततः उसकी गर्दन पर सुदर्शन चक्र चलाते हैं और महावीर बाहर के एक-एक परिषह और दुश्मनों को हँसते-हँसते सहन करते हुए भीतर के शत्रुओं को समाप्त करने के लिए अपने आपसे संघर्ष करते हैं। सिकंदर की जीत विश्व पर जीत है, महावीर की जीत स्वयं की जीत है।
विश्व-विजेता कब तक याद रखे जा सकते हैं! बहुत जल्दी भुला दिए जाते हैं। आत्म-विजेता कभी भुलाये नहीं जाते। सम्राट तो जमींदोज हो जाते हैं, पर आत्मशत्रुओं पर विजय पाने वाले बुद्ध और तीर्थंकर पुरुषों का परचम शाश्वत फहराता रहता है। विश्व-विजेता का अर्थ है दुनिया को गुलाम बनाना और आत्म-विजेता वह जिसने अपने द्वार-दरवाजों को सारी दुनिया के लिए खोल दिया। प्रेम, करुणा,
अहिंसा और दया का द्वार प्राणिमात्रं के लिए खोल दिया। विश्व-विजेता तक पहुँचना मुश्किल है लेकिन आत्म-विजेता तक पहुँचना सरल है। इसीलिए धरती पर संत पूजे जाते हैं और सम्राट भुला दिए जाते हैं।
एक सम्राट भी जब किसी संत के पास से गुजरता है, तो उसका अहंकार और दर्प भी संत की आभा से विगलित हो जाता है। वह सोचता है - इसके पास कुछ भी नहीं है, फिर भी कितनी शांति है, कितनी तृप्ति है और मेरे पास सब-कुछ होते हुए भी न दिन में चैन का भोजन न रात में आराम की नींद। उस प्राप्ति को कैसे उपलब्धि कहें,जो तुम्हारी दिन की रोटी और रात की नींद ही हरण कर ले।उस खोने को खोना कैसे कहें, जहाँ परमात्मा जीवन की सारी व्यवस्थाओं को जुटाता है। प्रकृति की प्रबंध-समिति बहुत व्यवस्थित है, उसका मातृत्व सब पर बरसता है। प्रकृति से स्वयं को हटाकर अपनी चिंता के लिए जीवन को जितना झोंकोगे, प्रकृति के लाभों से, उसके वात्सल्य से उतना ही वंचित रह जाओगे। .
सिकंदर यूनान से भारत पर विजय पाने के लिए रवाना हुआ, तब उसके गुरु डायोज़नीज़ ने कहा, 'तुम भारत से चाहे जितनी सम्पत्ति और गुलाम ले आना लेकिन वापसी में वहाँ से एक संत. भी साथ में लाना।' सिकंदर हँसा। उसका हँसना
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