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मंत्र: धर्मका प्रवेश-द्वार
जीवन के आध्यात्मिक सौन्दर्य की ऊँचाई प्राप्त करने के लिए धर्म प्रवेश-द्वार की तरह है। जैसे ज़मीन में प्रवेश पाने के लिए बीज एक द्वार का काम करता है, मकान में प्रवेश पाने के लिए मकान का द्वार माध्यम बनता है ऐसे ही आध्यात्मिक ऊँचाइयों को प्राप्त करने के लिए धर्म द्वार का काम करता है। यदि संसार को बहुत बड़ा महल मान लिया जाए तो धर्म उस महल में प्रवेश करने का द्वार है। प्रश्न है कि धर्म में प्रवेश प्राप्त करना हो तो उसका जरिया, उसका आधार, उसका माध्यम कौन होगा? ज्ञानी महापुरुषों की दृष्टि में धर्म में प्रवेश करने का दरवाजा मन्त्र हुआ करता है। मंत्र के जरिए हम धर्म में प्रवेश कर सकते हैं।
धर्म का अर्थ है धारण करना। स्वयं को धारण करना, दूसरों को धारण करना, एक-दूसरे को धारण करना ही धर्म है। लेकिन जब हम स्वयं को धारण करने की बात करते हैं, स्वयं में प्रवेश करने को कहते हैं तो मन्त्र इसका पहला पगथिया बनता है। साधारण व्यक्ति भगवान के साकार या निराकार रूप के साक्षात दर्शन कर पाए यह मुमकिन नहीं है लेकिन वह भी भगवान के नाम का कीर्तन या नाम मन्त्र का उच्चारण सरलता से कर सकता है। मन्त्र का उच्चारण, मन्त्र का स्मरण, मन्त्र का ध्यान करना मन्त्र में प्रवेश करने का राजमार्ग है। जो हमारे मन को तार दे उसी का नाम मन्त्र है। जिससे हमारे मन की स्थिति सुधर
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