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________________ मैं महावीर का उपासक हूँ पर उनकी दिन-रात पूजा नहीं करता हूँ। महावीर को जीने की कोशिश अधिक करता हूँ। महावीर, ऋषभदेव, पार्श्वनाथ, नेमिनाथ आदि महापुरुष हैं तो मोहम्मद साहब, बुद्ध भी महापुरुष ही हैं। महापुरुष तो महापुरुष होते हैं फिर वे शंकराचार्य, नानकदेव, जरथुस्त्र, प्लेटो, सुकरात कोई भी हों । उनके अनुभवों को चुराओ, उनके जीवन को अपने जीवन में जिओ । यदि तुम उनके जीवन के मालिक बन जाओगे तो महापुरुषों को याद करना सार्थक है अन्यथा महापुरुषों के मंदिर तो बहुत बन गए । महज मंदिरों से कोई सुधरने वाला नहीं है। महावीर की अहिंसा, बुद्ध की करुणा, कृष्ण का कर्म दुनिया को सुधारेगा । अहिंसा, अचौर्य, अपरिग्रह और अनेकान्त को जिओ। अगर आप शाकाहारी हैं और अहिंसा को जीना चाहते हैं तो प्रण लें कि महीने में किसी एक मांसाहार करने वाले व्यक्ति को शाकाहारी बनने की प्रेरणा देंगे। अगर वह पूरी तरह शाकाहार ग्रहण न कर पाए तो सप्ताह में एक दिन शाकाहार अवश्य करे । अगर हम ऐसी प्रेरणा दे पाएँ तो लाखों लाख जीवों को कत्ल होने से बचाया जा सकता है। उन लाखों जीवों की करुणाभरी दुआएँ ज़रूर हमारा कल्याण करेंगी। ___ महापुरुष यानी अच्छी संगत, अच्छा स्थान, अच्छी वाणी = अच्छा जीवन । महापुरुषों के सम्पर्क में आकर उनकी वाणी का पठन, श्रवण और पारायण करते हैं और अपने तन, मन तथा जीवन में उनकी सुवास को थोड़ा-सा भी स्थान देते हैं तो ये साधारण-सा दिखने वाला तन-मन असाधारण परिणाम दे सकता है। तब हम कह सकते हैं कि हम वो हैं जो दिखने में कण भर हैं परिणाम आ जाए तो कण से मण भर हो जाएँगे। महापुरुषों के दीप मेरे दिल में जले हैं, आपके दिल में भी जलें, पूरी दुनिया में जलें और उनके ज्ञान का प्रकाश सारी दुनिया में फैलकर सभी को आलोकित करे। हर निष्ठाशील, श्रद्धाशील और उनके भक्तवृंद को यह प्रयत्न करना चाहिए कि महापुरुषों के ज्ञान का प्रकाश सर्वत्र विस्तीर्ण हो। आने वाले कल की रोशनी में और वृद्धि हो, ज्ञान, प्रेम और भाईचारे में और अधिक बढ़ोतरी हो सके, ऐसा प्रयत्न हम सब लोगों का ज़रूर होना चाहिए। ___ आज के लिए प्रेमपूर्वक इतना ही अनुरोध है। ३० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003880
Book TitleMahavir Aapki aur Aajki Har Samasya ka Samadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages342
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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