________________
जाए वह मन्त्र है। जो हमारे मन के कषायों को, मन की लेश्याओं को, मन के घेरों को निर्मल कर डाले वही मन्त्र है। संसार के प्रपंचों से ऊपर उठाकर जो हमें असंसारी जीवन के दर्शन कराता हो उसका नाम मन्त्र है। मन्त्र कोई सामान्य शब्दावली नहीं है वरन् वह दिव्य प्रकाश-किरण है जिसके सहारे हम सूरज तक पहुँच सकते हैं। मन्त्र रात के अंधेरे में जलने वाला ऐसा चिराग है जिसे थामकर हम कई मीलों का रास्ता पार कर सकते हैं।
मैं स्वयं मन्त्र का उपासक हूँ। मैं ही क्यों इस देश का हर व्यक्ति किसीन-किसी मन्त्र की आराधना अवश्य करता है। विश्व भर में जितने भी धर्म हैं उन सबने अपने हिसाब से कोई-न-कोई मन्त्र अवश्य दिया है। फिर चाहे वह गुरुमन्त्र हो या मालाओं में जपने वाला मन्त्र हो अथवा ध्यान में प्रवेश पाने का कोई मंत्र हो। मंत्र का उच्चारण करने से वायुमंडल निर्मल हो जाता है, वातावरण पवित्र हो जाता है। भारत में मंदिरों में शंखनाद होता है उसका उद्देश्य भी यही है कि वातावरण निर्मल हो, ऊर्जस्वी हो, दूषित जीवाणुओं से मुक्त हो। जो काम शंखनाद करता है वही काम मन्त्रनाद भी करता है। मन्त्रों में एक मन्त्र है ओ....म्'। आज भी लोग ओंकारनाद करते हैं। यदि आप अपनी फैक्ट्री में या व्यावसायिक स्थान पर काम प्रारम्भ करने से पहले मालिक और सभी कर्मचारी मिलकर सात बार सामूहिक रूप से ओंकार का उद्घोष करते हैं तो ऐसा करने से आपके कार्यस्थल का वातावरण निर्मल हो जाता है, सारी मशीनें पवित्र हो जाती हैं।
यदि व्यक्ति तेज ठंड से ठिठुर रहा हो, उसे बहुत सर्दी लग रही हो तो तेज श्वासोश्वास के साथ मन्त्र का उच्चारण उसकी ठंड दूर करने में सहायक होगा। तिब्बत में लामा लोग बर्फ के मध्य बैठकर साधना करते हैं (क्योंकि वहाँ तो बर्फ ही बर्फ है) फिर भी उनके शरीर से पसीना बहते हुए देखा जा सकता है, कैसे? वे अपने मंत्र ॐ मणि पद्मे हुम्' का तीव्र श्वासोश्वास के साथ प्रयोग करते हैं। इससे शरीर में अतिरिक्त ऊर्जा का संचार हो जाता है, रचनात्मक ऊर्जा का संचार। जो लोग मन्त्र प्रयोग करना नहीं जानते वे हाथ में माला पकड़कर बैठ जाते हैं और मंत्र की आवृत्ति भर कर लेते हैं। ऐसे लोगों के लिए कबीरदास कहते हैं- माला फेरत जुग भया, गया न मन का फेर, कर का मनका छांडि के, मनका मन का फेर।
हम तो माला के साथ मन्त्र को इसलिए दोहरा रहे हैं कि किसी गुरुजी ने
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org