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________________ पॉज़िटिव है तो परिणाम जल्दी मिल जाता है और किस्मत निगेटिव हो तो परिणाम देर से ही सही, मिलता ज़रूर है। अब्राहम लिंकन जिन्होंने इक्कीस वर्ष की आयु में पार्षद का पहला चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए । वे हारते चले गए लेकिन वही व्यक्ति बावन वर्ष की उम्र में अमेरिका का राष्ट्रपति बन गया । किस्मत ने उन्हें परिणाम दिये, पर पहले चरण में नहीं। दुनिया में हर किसी को पहले चरण में परिणाम मिल जाए यह ज़रूरी नहीं है। हमें भी यही स्वीकार करना चाहिए कि धर्म के कुछ परिणाम वर्तमान में मिल जाते हैं। कुछ परिणाम भविष्य में मिलते हैं। आओ, हम स्वयं भी धर्म के रास्ते पर चलें और हमसे जुड़ा हुआ व्यक्ति भी हमारा कर्म, हमारी वाणी को सुनकर, हमारे कार्यकलापों को देखकर प्रेरणा ले सके । व्यक्ति अगर मंदिर जा रहा है तो हम प्रेरित हो सकते हैं लेकिन मंदिर के अतिरिक्त उसका जीवन विपरीत दिशा में चल रहा हो तो हम प्रेरणा न पा सकेंगे और न ही उससे प्रभावित हो पाएँगे । व्यक्ति का चौबीस घंटे का जीवन यदि धर्मनिष्ठ, श्रद्धामय, अहिंसामूलक, संयमी, नैतिक जीवन है तो उसका दूसरों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हमें ऐसा ही जीवन जीना चाहिए जिससे परिवार वालों पर भी अच्छा प्रभाव पड़े। लेकिन होता यह है कि पिता अपेक्षा रखता है कि पुत्र उसके सामने सच बोले और कई दफ़ा पिता ही बच्चों के सामने झूठा साबित हो जाता है। ऐसी स्थिति में बच्चे सोचते हैं कि पापा खुद तो झूठ बोलते हैं और हमसे कहते हैं सच बोलो। दूसरी ओर अगर पिताजी सत्य को जीने वाले व्यक्ति होंगे तो एक-न-एक दिन बच्चे पर अपने पिता के सत्य वचनों का प्रभाव ज़रूर पड़ेगा। पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चे को अच्छे रास्ते पर लेकर चले । धर्म का भी यही मतलब है- एक अच्छा रास्ता। धार्मिक जीवन का अर्थ है श्रेष्ठ जीवन, बेहतर मानवीय जीवन । हम राम, महावीर या कृष्ण की तुलना में खड़े नहीं हो सकते तो कोई बात नहीं, पर एक बेहतर इन्सान तो बन ही सकते हैं। नारियाँ भले ही सीता के आदर्श न जी पाएँ लेकिन एक सन्नारी तो बन ही सकती हैं। अगर कोई सोचे कि वह महावीर या बुद्ध बन जाए तो नहीं बन सकता क्योंकि कुछ सीमाएँ हैं, कुछ व्यवस्थाएँ हैं, नियति है, प्रारब्ध है लेकिन एक अच्छा इन्सान तो बन ही सकता है, अच्छा व्यक्ति तो बना ही जा सकता है, यह तो अपने ही हाथ में है तो हमें १५२ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003880
Book TitleMahavir Aapki aur Aajki Har Samasya ka Samadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages342
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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