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________________ बुढ़ापे में चौथी समस्या आर्थिक होती है। बूढ़े आदमी के पास धन है तो बच्चे भी सेवा करेंगे और बच्चे न भी करें तो धन के द्वारा वह खुद अपनी व्यवस्था बैठा सकता है। आजकल वृद्ध लोगों के रहने के लिए देश में अनेक शहरों में काफ़ी बेहतर आराम तलब स्थान बने हुए हैं। जयपुर में भी है, हरिद्वार में भी है, कोयम्बतर में भी है, जोधपुर में भी बन रहा है और भी शहरों में हैं। व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने बुढ़ापे की सुरक्षा के लिए अपनी आय का एक हिस्सा ज़रूर बैंक में रखे। बच्चों के मोह में पड़कर सारा धन उन्हीं के लिए न लुटा दें। किसी ने मुझे एक फिल्म की कहानी सुनाई है। कहानी बड़ी दिलचस्प है, इंसान को सोचने के लिए मजबूर करती है। फिल्म का नाम है : बागवान। यानि एक पिता ने किस तरह अपने बच्चों को पढ़ाने-लिखाने में अपना सारा धन खर्च किया, पर वही बच्चे किस तरह माँ-बाप का ही बँटवारा कर लेते हैं। माँ एक बेटे के पास रहेगी और पिता दूसरे बेटे के पास। जबकि व्यक्ति ने किसी अनाथ बच्चे को मदद दी, तो वही बड़ा होकर उनको पिता या संरक्षक नहीं, साक्षात् भगवान मानता है। ___मैं आगाह करना चाहूँगा कि बागवान की वह घटना कहीं आपके साथ ही घटित न हो जाए इसलिए अपने सुखी और सुरक्षित बुढ़ापे के लिए अभी से जागरूकता बरतें। ध्यान रखें अपना सारा धन केवल बच्चों को ही न दें, वरन् उसका कुछ हिस्सा उस स्कूल में जाकर ज़रूर डोनेट करें जिसमें कभी आप पढ़े हैं। उस अस्पताल में भी ज़रूर दें, जहाँ आपने स्वास्थ्य-लाभ लिया है। उन गरीबों के लिए भी डोनेट करें जो भूखे-प्यासे-नंगे अशिक्षित हैं। हम अपने बुढ़ापे को कैसे आरोग्यमय बना सकते हैं। उसे कैसे सार्थकता का आयाम दें और किस तरह ज़िंदादिल इंसान की तरह जी सकते हैं, इस हेतु कुछ सूत्र निवेदन कर रहा हूँ। बुढ़ापे को दूर करने का पहला मंत्र : बुढ़ापा स्वस्थ्य और निरोगी हो। हम शरीर और मन से स्वस्थ रहें-इसके लिए ज़रूरी है-सदा सात्विक, संतुलित और सीमित आहार लीजिए। संतुलित आहार आपको निरोगी बनाएगा। अब यह आपका पेट है, कोई कोठी नहीं कि उसमें कुछ भी डालते जाएँ। जैसा भोजन आप करेंगे वैसा ही रक्त, वैसा ही भाव, वैसी ऊर्जा उत्पन्न होगी। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है पाचन-क्षमता कम होती जाती है, लेकिन खाने की 96 घर को कैसे स्वर्ग बनाएं-6 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003879
Book TitleGhar ko Kaise Swarg Banaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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