________________
बात का डर है उसे ही रात में चैन की नींद आएगी। वह सहज जीएगा और सहज सोएगा। कहते हैं:
चाह गई चिंता मिटी, मनवा बेपरवाह।
जिनको कछु न चाहिए, ते शाहन के शाह॥ जिसकी कोई तलब नहीं, तड़फ नहीं, लालसा नहीं, वही तो जीवन का बादशाह है। जो आया नहीं उसके बारे में क्या सोचना? जब आएगा, तब सोचेंगे, सामना करेंगे। लोग प्राय: मुझसे पूछते हैं, 'आपको चिंता नहीं सताती।' तब मैं कहा करता हूँ-'चिंता सताती थी, लेकिन जब से जीवन की समझ विकसित हुई, जीवन की समझ मिली तब से चिंता गायब हो गई।' और यही समझ अगर आप अपने जीवन से जोड़ लें तो आपके पास से भी चिंता का टेम्प्रेचर डाउन हो सकता है। सौ प्रतिशत नहीं तो अस्सी प्रतिशत तो आप चिंताओं से मुक्त हो ही सकते हैं। आप जानते हैं बच्चा बाद में जन्मता है उसके पहले माँ का आँचल दूध से भर जाता है। वह विधाता सारी व्यवस्थाएँ करता है। आप कल के लिए बहुत-सा जमा करके रखते हो, लेकिन अगर उसने कल ही न दिया तो! उसे अगर कल देना होगा तो कल की व्यवस्था भी
देगा।
___मेरे परिचित एक सरकारी अधिकारी हैं, उनकी सेवा-निवृत्ति छह माह बाद होने वाली थी। इसी बीच दीपावली आ गई, चूँकि बड़े अधिकारी थे, सो हर वर्ष की तरह इस बार भी उन्हें लोगों ने उपहार और मिठाइयाँ दी थीं। वे खाना खा रहे थे, उनकी निगाहें उपहार और मिठाइयों के ढेर पर गई और अचानक उदास हो गए। पत्नी ने उदासी का कारण पूछा तो कहने लगे कि अभी तो वह अफसर हैं लेकिन अगली दीपावली के पहले ही रिटायर हो जाएँगे तब भी क्या लोग इसी तरह मिठाइयाँ और उपहार देंगे? ऐसी चिंता करना व्यर्थ है, जो भविष्य की चिंता में वर्तमान को नष्ट कर देता है वह मूर्ख ही होता है। आप आज जो है उसका आनन्द लीजिए।
आज इंसान के पास पहनने को तो डायमंड सेट है, बैठने को सोफासेट है, देखने को टी.वी. सेट है, पर माइंड अपसेट है। दिमाग़ में चिंता का महाभारत चल ही रहा है। वह निराश और हताश ज़्यादा है। थोड़ा-सा भी नुकसान वह बरदाश्त नहीं कर पाता। उसकी बजाय जो खो गया, उसकी चिंता 78
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org