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जल्दी से ठीक हो जाएँ। माँ ने हमारे सिरहाने राई का एक-एक दाना हमारे जीवन के कल्याण के लिए, स्वास्थ्य और आरोग्य के भाव के साथ रखे। क्या हम राई के उन दानों का ऋण उतार पाएँगे।
जब हम बुखार में तप रहे होते तब माँ ही वह शक्ति होती जो हमारे माथे पर गीली पट्टियाँ रखती और अपनी कोमल-कोमल अंगुलियों से सहलाती हुई कहती, 'बेटा, सो जा रो मत, बीमारी हाथी के चाल से आती है और चीटी के चाल से जाया करती है। मैं मना नहीं करती थी कि ठण्डे पानी में मत नहा, पर तू मानता कहां है, अब हो गए ना बीमार। थोड़ा धीरज रख, सब ठीक हो जाएगा।' क्या हम माँ की इस भाव दशा का अहसास कर पाएंगे? __माँ की उन मीठी-मीठी लोरियों को क्यूं भूल जाते हैं जो वह हमें सोने के लिए सुनाया करती थी। माँ की उन प्यार भरी लोरियों को जरा याद कीजिए, जिनसे फिल्म संसार ने भी अपने को सजाया और संवारा है। माँ गाती थी
चन्दा है तू मेरा सूरज है तू। हाँ मेरी आँखों का तारा है तू।
चन्दा है तू मेरा सूरज है तू। माँ के मन की मनौतियाँ तो देखिए कि वह हममें ही धरती का फूल देखती है और हममें ही आसमान का चाँद और सूरज देखती है। माँ की लोरियों के सम्बोधन तो देखिए
तुझे सूरज कहूं या चँदा, तुझे दीपक कहूं या तारा, मेरा नाम करेगा रोशन,
जग में मेरा राज-दुलारा। कितनी मंगल-भरी उछामणी है, कितनी प्यारभरी हिलोर है यह। बेटे को राजदुलारा कहना, उसे घर का चिराग़ कहना माँ की अन्तरभावनाओं को समझने और समझाने का एक तरीक़ाभर है।
ज़रा अपने बचपन के 'बर्थडे' को याद कीजिए किस तरह मम्मी हमारे लिए कैक बनाती खीर और लापसी बनाती। बर्थडे मनाते हुए गाया करती
ओ नन्हे से फरिश्ते, कैसा ये तुझसे नाता, कैसे ये दिल के रिश्ते, नन्हे से फरिश्ते! हैप्पी बर्थडे टू यू ..... हैप्पी बर्थ डे टू यू! 58
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