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बिल्कुल नहीं सुनता है। उसके साथ अभद्र व्यवहार करता है। यहाँ तक कि वह मारपीट भी कर देता है। मैंने कहा, 'इसमें आपकी ही भूमिका है।' वे चौंक पड़े। मैंने कहना जारी रखा कि जिस पहले दिन बेटे ने हाथ उठाया था उसी दिन उन्हें उसका हाथ पकड़ लेना चाहिए था और उसे ऐसा दण्ड देना चाहिए था कि फिर वह दुबारा हाथ उठाने की हिम्मत न करता। जिसका हाथ अपने माता-पिता पर उठ गया वह हाथ नहीं, हथौड़ा है। बेटे का हाथ बाप पर उठ जाए, बेटे का हाथ माँ पर चल जाए, तो उस हाथ को मरोड़ने की आप में ताक़त भी होनी चाहिए और अगर वह ताक़त नहीं है तो कृपया संतान पैदा ही मत कीजिए। उस दिन अपनी पुण्यवानी समाप्त समझना जिस दिन आपका बेटा यह कह दे कि वह अलग घर बसाना चाहता है।
माँ-बाप के जीते जी उनका खून आपस में बँट जाए तो माँ-बाप के लिए इससे बड़ी पुण्यहीनता और क्या होगी? जीवन में अच्छी सन्तान, अच्छी पत्नी
और अच्छा मित्र, ये तीनों बड़े नसीब से मिलते हैं। बहनो, आपने अपने पति से कई बार झगड़ा भी किया होगा। अब मेरे कहने से उनकी ग़लत आदतों के लिए भी उनसे झगड़ो। शराब, सिगरेट, जुआ, सट्टा, गुटका, तम्बाकू, झूठ बोलना जैसी आदतें हों तो एक मर्तबा झगड़ ही लो। कह ही डालो-अपनी बुरी आदतें छोड़ दें, वरना घर में या तो वे रहेंगे या आप। जिस तरीके से आप सुधार सकती हैं वही अपनाएँ। आप पति की अर्धांगिनी कहलाती हैं। वही अर्धांगिनी वास्तविक अर्धांगिनी है जो अपने आधे अंग को सही रास्ते पर ले आए।
जिसका आधा अंग खराब हो और आधा सही, तो वह विकलांग ही कहलाता है। आप सोचिए कि क्या आप विकलांगिनी कहलाना पसंद करेंगी? धर्म पत्नी वही कहलाती है जो पति को धर्म के रास्ते पर ले जाए। अगर पत्नी ऐसा नहीं करती तो पत्नी वह है जो पतन की ओर ले जाए। अपने बेटे को सही रास्ते पर लाना माता-पिता का भी फ़र्ज़ है। ऐसा हुआ कि आधी रात को पुलिस ने एक घर पर दस्तक दी। गृहस्वामी ने दरवाजा खोला तो पुलिस ने एक तस्वीर दिखाते हुए पूछा- क्या आप इसे पहचानते हैं ?' गृहस्वामी ने कहा-'हाँ, यह तो मेरे ही बेटे का चित्र है। क्या हुआ?' 'हुआ क्या! अरे आज तुम्हारे लड़के ने समुद्र के किनारे किसी लड़की से छेड़खानी की थी। 46.
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