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________________ Amma - m कैसे सँवारें बच्चों का भविष्य प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के तीन महत्त्वपूर्ण पड़ाव होते हैं-(1) बचपन, (2) यौवन और (3) बुढ़ापा। बचपन ज्ञानार्जन के लिए है, यौवन धनार्जन के लिए है और बुढ़ापा पुण्यार्जन के लिए है। जिसने अपने बचपन में पर्याप्त ज्ञानार्जन किया है उसके भावी जीवन की नींव मज़बूत हो जाती है। जिसने युवावस्था में धन और सम्पदा अर्जित कर ली है, उसका बुढ़ापा सुखी हो जाता है और जिसने बुढ़ापे में पुण्यपथ पर चलकर पुण्य का अर्जन किया है, उसका परलोक सुधर जाता है। जिनके पास आज केवल बुढ़ापा बचा है, वे वृद्ध और बुजुर्ग अब अपने बचपन को तो नहीं सुधार सकते, किन्तु अपने घर के पोते-पोती, नाती-नातिन को तो अवश्य ही संस्कारित कर सकते हैं। परिवार में बालक का जन्म गणपति-वंदना जैसा है और उसकी एक किलकारी घर को, बगीचे में चहचहाने वाली चिड़िया जैसा आनंद देती है। जिस घर में बच्चे नहीं होते वहाँ शांति तो रह सकती है, पर किलकारियों का आनन्द नहीं मिल पाता। बच्चों के जन्म पर 37 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003879
Book TitleGhar ko Kaise Swarg Banaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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