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हमारे देश की गुप्तचर एजेंसी को सीआईडी कहते हैं। मैं सीआईडी को धर्मों को जोड़ने के लिए उपयोग करूँगा। हमारे देश के तीन मुख्य त्यौहार हैं-क्रिसमिस, ईद और दिवाली। सी फॉर क्रिसमिस, आई से जुड़ी है ईद और डी से बनेगा दिवाली। क्रिसमिस, ईद और दिवाली-इसी का शॉर्टफॉर्म बनासीआईडी। जोड़ने का दृष्टिकोण होगा, तो वैसे सकारात्मक पहलू मिल जाएँगे, तोड़ने का दृष्टिकोण रखोगे, तो वैसे नकारात्मक पहलू मिल जाएँगे। इंसान के पास दर्जी की तरह कैंची और सुई-धागा दोनों ही हैं। जिनके पास सकारात्मक दृष्टिकोण है वे सुई-धागे का काम करेंगे, जिनके पास नकारात्मक दृष्टिकोण है वे कैंची चलाने का काम करेंगे। बस, इतना-सा ध्यान रखो कि कैंची काटती है, सुई-धागा जोड़ती है। यह आप सोचिए कि इंसानियत की भलाई परस्पर काटने में है, या कटे-फटे टुकड़ों को जोड़ने में है। हम लोग हिन्दु-मुस्लिम के नाम पर, रामनवमी-ताजिये के नाम पर आपस में गलियों को बाँटते फिरते हैं। अरे, कहीं इन कबूतरों को तो देखो जो कभी मंदिरों पर भी सैर कर आते हैं, तो कभी मस्जिदों पर भी गूटरगूं कर लेते हैं।
मुसलमान का अर्थ है : एक में है ईमान, वह है मुसलमान। अब इसमें क्या फ़र्क पड़ता है कि हमने मालिक को ईश्वर का नाम दिया या अल्लाह का। ईश्वर हिंदी का शब्द है, अल्लाह उर्दू का शब्द और गॉड इंग्लिश का, पर अर्थ और संकेत तो तीनों का एक ही है। जैन शब्द का अर्थ है जीतने वाला। जो औरों के दिलों को जीत ले, उसी को जैन कहते हैं। भाई! अच्छा नज़रिया रखोगे, तो सचमुच तुम औरों के दिलों को जीतने में सफल हो जाओगे। बाकी ३६ का आँकड़ा काम का नहीं है। ३६ को उल्टा करो। इन्हें या तो ३३ बनाओ या ६६।
भगवान महावीर ने कभी अनेकान्त का सिद्धान्त देकर मानवता को यह समझाने की कोशिश की थी कि तुम अपनी बात प्रेम से कहो, बेझिझक, पर अपनी ही बात सच है इस 'ही' के दुराग्रह को हटा दें और 'ही' के स्थान पर 'भी' को ले आएँ। ऐसा करने से आपकी बात में भी सच्चाई की संभावना नज़र आएगी और दूसरों की बातों में छिपी सच्चाई की सुगन्ध भी आपको अहसास होगी। मुझे जब-जब भी मौका मिला है मैंने हर धर्म सभा में इंसानियत को आपस में जुड़ने की प्रेरणा दी है। टूटे हुए भाइयों और परिवारों को साथ-साथ
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