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________________ लाज भी किसी का अनुयायी बन सकता है पर अनुयायी मार्ग का अनुसरण भी कर सकता है, नये मार्ग का निर्माण नहीं कर सकता। लीक लीक गाड़ी चले, लीक से चले कपूत। लीक छोड़ तीनों चले सायर, सिंह, सपूत॥ आप भी आलोचनाओं को परे रखकर आगे बढ़िए। ईश्वर सदा सत्य के साथ है। हाथी को देखकर कुत्ते भौंकते ही हैं। अगर हाथी कुत्तों की परवाह करना शुरू कर दे तो वह अपनी मस्ती से वंचित रह जाएगा। वह चल ही न सकेगा। चुनौतियों का सामना करो। मुसीबत और मुश्किलों का सामना करना सीखिए। प्रकृति परिवर्तनशील है। हर व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव आया ही करते हैं। उसी व्यक्ति का विकास होता है, जो चुनौतियाँ झेलने में समर्थ होता है। मैं तो मानता हूँ कि जिसकी आलोचना न हुई, जिसे चुनौतियाँ न मिलीं वह व्यक्ति, जीवन में कुछ बन ही नहीं सकता। थपेड़े और ठोकरें खाने से ही इन्सान कुछ बन पाता है। कालिदास को चुनौती मिली, तुलसीदास को भी चुनौती मिली। चन्द्रप्रभ को भी चुनौती मिली। कालिदास की पत्नी ने व्यंग्य किया था, ताना मारा था कि 'विदुषी महिला का इतना गंवार, अनपढ़ पति! अगर मेरा पति कहलाना चाहते हो तो एक दिन मेरे सामने विद्वान् बनकर आओ, तब मैं गौरव से कह सकूँगी कि तुम मेरे पति हो।' कालिदास जो एक गड़रिया था, पत्नी के ताने सुनकर घर से चला जाता है और जब घर लौटता है तो संसार का एक महाकवि बनकर ही लौटता है। तुलसीदास को भी पत्नी ने कहा था, 'जो प्रेम तुम मुझसे करते हो अगर श्रीराम से करो तो वे तुम्हें साक्षात् मिल जाएँगे।' तुलसी भी पत्नी की बातों से आहत होकर चले गए और जब लौटे तो लिखा चित्रकट के घाट पर, भई संतन की भीर। तुलसीदास चंदन घिसें, तिलक करै रघुवीर॥ हर हालत में हिम्मत और साहस रखें। हिम्मत से व्यक्ति स्वावलंबी बनता है। हिम्मत से ही पाँच पाँडव सौ कौरवों से युद्ध करने का साहस कर सके, नहीं तो लोग गली के कुत्ते और घर के चूहे से भी डरते हैं। मुझे बचपन में कुत्तों से बहुत डर लगता था किन्तु अब तो उन्हें प्यार करता हूँ। एक दिन मैं 134 | Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003879
Book TitleGhar ko Kaise Swarg Banaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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