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जाएँ। वहाँ सप्ताह-दो सप्ताह ज़रूर रहें। अब इन्हीं को देखिए- रामगोपाल जी राठी को। बयासी वर्ष के बुजुर्ग हैं। पर रोज दस-बीस कि.मी. चल सकते हैं। प्रभु की भक्ति में थिरकने शुरू हो जाएँ तो तीन घंटे तक नृत्य करते रहते हैं। इनका बुढ़ापा यानी बच्चों की तरह खिलखिलाता हुआ, गुनगुनाता हुआ, थिरकता हुआ। आप भी अपने बुढ़ापे को ऐसे ही गाते-झूमते-नाचते हुए जीने का मानस बना लें। बुढ़ापे को बनाइए शांति, मुक्ति और कैवल्य का द्वार।
हिम्मत न हारिए, प्रभु ना बिसारिए, हँसते-मुस्कुराते हुए ज़िंदगी गुजारिए। हँसते-मुस्कुराते हुए जीना जिसको आ गया। टूटे हुए दिलों को सीना जिसको आ गया। ऐसे देवताओं के चरण पखारिए। हँसते-मुस्कुराते हुए ज़िंदगी गुजारिए। काम ऐसा कीजिए जिससे हो सबका भला। बातें ऐसी कीजिए जिसमें हो शहद घुला। मीठी वाणी बोल सबको गले से लगाइए। हँसते-मुस्कुराते हुए ज़िंदगी गुजारिए। मुश्किलों-मुसीबतों का करना हो जो ख़ात्मा, हर समय कहते रहिए : शुक्र है परमात्मा। गिले-शिकवे करके अपना हाल ना बिगाड़िए,
हँसते-मुस्कुराते हुए ज़िंदगी गुजारिए। जीवन में हिम्मत रखिए। दुनिया में सारा चमत्कार हिम्मत का ही है। हिम्मत है तो जीवन है, हिम्मत टूटी कि बाज़ी हाथ से गई। जीवन में हिम्मत रखो और सदा हँसो और हँसाओ, न फँसो, न फँसाओ। ख़ुश रहो, ख़ुशी बाँटो। न दुखी रहो, न दुखी करो, न दुख बाँटो। जब आप ख़ुद ख़ुश रहेंगे तो आपके पास आने वाले सभी ख़ुश होकर जाएँगे। जीवन में एक नियम तो सबके ही होना चाहिए कि मैं हर रोज़ कम-से कम चार लोगों को तो अवश्य हँसाऊँगा।
बुढ़ापा आ गया है तो धंधा-पानी छोड़ो। अपन कोई धंधा करने के लिए ही पैदा नहीं हुए हैं। पचास या साठ वर्ष की उम्र तक व्यापार कर लीजिए, फिर व्यापार बच्चों को संभलाकर ख़ुद हरि-भजन में लग जाइए। जैसे जीवन 100 |
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