________________
आज का कार्य आज हो
तुम समय के साथ चलो, समय तुम्हारा साथ निभाएगा; तुम समय की व्यवस्थाओं पर ध्यान दो, समय तुम्हारी व्यवस्थाओं पर ध्यान देगा; तुम समय का उपयोग करो, समय तुम्हारा उपयोग करवाएगा। समय मेरा मित्र है, मैं समय का मित्र हूं। मैं और समय-दोनों अलग-अलग नहीं हैं। कायाएं दोनों की अलग भले ही हों, प्राण दोनों के एक हैं। मैं समय की धार हूं, समय मेरा सूत्रधार। समय की प्रेरणा है : समय की नज़ाकत पहचानो। अपने किसी काम को कल पर मत टालो। जो अपने काम को कल पर टालते हैं, वे खुद टलते चले जाते हैं, जो अपने काम को आज संपादित करते हैं, वे समय का वर्तमान बन जाते हैं। हम न केवल आज के कार्य को आज करें, वरन् कल के कार्य को भी आज कर डालना संभावित हो, तो स्वयं की ओर से प्रयत्नशील रहने में कोई कमी न रहने दें। कल का काम आज हो और आज का काम अभी-इसे जीवन की सफलता का मूलमंत्र मानें। जो आज का उपयोग कर रहे हैं, विश्वास है कि वे कल का भी उपयोग करेंगे। जो आज भी अलसाए हैं, वे कल तरोताजा हो जाएंगे, उम्मीद नहीं है। हर दिन जीवन की यात्रा का एक दिन कम होता है। करने के लिए बहुत कुछ है। तुमसे कुछ करवाने के लिए ही समय ने तुम्हारा सृजन किया है। आओ, हम धरती को स्वर्णिम बनाएं। शिखर पर बैठा समय निरंतर हमें देख रहा है। वह देख रहा है कि सृष्टि के लिए कौन उपयोगी है और कौन आलसी-अवांछित । तुम उठने को राजी हो, तो समय तुम्हारा सहयोग करने को तैयार है। समय की एक ही तो संप्रेरणा है-चरैवेति-चरैवेति। आज का नया सवेरा कितने प्यार से हमें कह रहा है-फिर से सजाएं हम अपने सवेरे को, जीवन और जगत् को। इस संकल्प के साथ कि शुभ करेंगे आज, अशुभ करेंगे कल । 'शुभ' को हम सदा करते जाएंगे और अशुभ को कल पर टालते जाएंगे, कल पर, और किसी अगले दिन पर।
49
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org