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समय जो कुछ करे, भला या बुरा, बिना किसी नानुच के उसे स्वीकार कर लो, यह सोचकर कि समय ने जो कुछ किया है, उसमें किसी-न-किसी तरह का मेरा हित समझकर ही किया है। जो कुछ मेरे साथ हुआ, वह होनी का ही हिसाब-किताब था। होनी को यदि सहजता से स्वीकार कर लो, तो होनी तुम्हें और सुंदर बनाएगी। होनी को अनहोनी मान बैठे, तो दःखी होने का इससे बड़ा आधार और कोई न होगा। इसलिए जीवन में सदा इस बात की सजगता रखें कि जीवन में जो हो, उसका होना सुंदर हो; जीवन में जो कुछ न हो, उसका न होना भी हमारी ओर से सुंदर हो। समय किसी को दुःखी नहीं करता। वह तो मात्र कसौटी कसता है आदमी की आदमियत की, उसके ईमान और निष्ठा-मूल्यों की। तुम चाहो तो समय की हर इच्छा को मान देकर अपने आपको सुखी बना सकते हो, वरना हारा जुआरी तो इधर-उधर की उठा-पटक ही करता रहेगा। जीवन में कभी किसी तरह का नुकसान हो जाए तो चिंता न करें। उसे भी सहजता से स्वीकार कर लें। लाखों-करोड़ों का मुनाफा कमाकर घमंडी न हो जाएं। उसे भी बड़ी सहजता से लें। समय एक दिन हमारी चिंता भी दूर कर देगा, तो हमारे घमंड को भी धराशायी। जो हुआ अच्छा हुआ; जो न हुआ, वह न होने के लिए ही होता है। यदि हम यह सोच रखेंगे, तो हम जीवन के हर उतार-चढ़ाव को पार कर सकेंगे, समय की प्रतिकूलताओं पर भी विजय प्राप्त कर सकेंगे।
हर अवसर समय की सौगात समय हमारे लिए अवसर बनकर आता है। हम जीवन के किसी भी अवसर को न चूकें। हम अपने हर कार्य को पूरी निष्ठा और लगन के साथ करें। अवसर छोटा-से-छोटा भी क्यों न हो, अवसर को हम समय की सौगात समझें। जैसे हम किसी उपहार या पुरस्कार को बाकायदा आभार
और अहोभाव के साथ स्वीकार करते हैं, समय के साथ भी हमारा ऐसा ही व्यवहार हो। हम उसके द्वारा दिए जाने वाले हर अवसर को बाअदब
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