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पेश आएं शालीनता से
सबके साथ इस तरह पेश आएं कि वे हम पर गौरव कर सकें।
जीवन के अंतर-रहस्यों को जानने की जिज्ञासा से एक युवक किसी
जेन मास्टर के पास पहुंचा। उसने ज़ेन मास्टर की सराय का दरवाजा तेजी से खोला और अपने जूतों को बेतरतीबी से एक ओर धकेल दिया। युवक जेन मास्टर का अभिवादन करने के लिए जैसे ही झुका, मास्टर ने कहा, 'ठहरो। मुझे प्रणाम करने से पहले उस दरवाजे और जूते से क्षमा मांगकर आओ। 'जूते से क्षमा!' युवक चौंका। मास्टर ने कहा, 'जिसे सलीके से जूता और दरवाजा तक खोलना नहीं आता, वह आत्मज्ञान की शिक्षा का पात्र कैसे हो पाएगा?' युवक को जीवन की समझ मिल गई। उसने जेन मास्टर के समक्ष अपने कान पकड़े और जूतों से क्षमा मांगी। ज़ेन मास्टर ने कहा, 'तुम जिस विनम्रता से अपने जूतों के सामने पेश आए हो, उसी विनम्रता और शालीनता से अपने जीवन के सामने पेश आओ, तुम्हारे समक्ष जीवन के रहस्य स्वतः उद्घाटित होते चले जाएंगे।'
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