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________________ अंधेरे का रोना न रोएं हमारे द्वारा गलत न हो, इसके लिए हम सजग रहें। जो गलत हुआ, उसके परिणामों को भुगतने का साहस रखें। गलती या बदनीयती के प्रति सजग-सचेत रहकर ही हम उससे बच सकते हैं। हो चुकी गलती के लिए रोते न फिरें। स्वयं की सोच और बुद्धि को सकारात्मक और रचनात्मक बनाने की कोशिश करें। अंधेरे का रोना रोने से जीवन में प्रकाश की किरण नहीं उतरती, लेकिन सद्गुणों का प्रकाश आत्मसात हो जाए, तो दुर्गुणों का तमस् अपने आप नेस्तनाबूद हो जाता है। अंधकार को दूर करने का सीधा-सा सूत्र है-जीवन में दो दीप जलाएं। हम नकारात्मक सोच और नकारात्मक दृष्टि से मुक्त हों। जीवन में चाहे सोच हो या स्वप्न, सब कुछ सकारात्मक हो। हम यह न देखें कि गुलाब में भी कांटें हैं, अपितु सोच और दृष्टि यह रहे कि कांटों में भी गुलाब है। गिलास को आधा खाली तो हर कोई कह देगा, हमारी विशालता और उदारता इसमें है कि हम उसके भरे हुए पहलू पर ध्यान दें और प्रेम और मुस्कान से कहेंगिलास आधा भरा हुआ है। हमारी सोच और जीने की शैली में ही छिपा है-जीवन की हर सफलता का राज। बस, आवश्यकता केवल इस बात की है कि वह सकारात्मक हो। वस्तुतः यही है जीने की कला और यही है उसका गुर। 29 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003877
Book TitleJiye to Aise Jiye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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