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सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए
को भी जब यही सुनने को मिला तो कालिदास ने कहा, 'महाराज ! 1. मैं खाता हुआ चलता नहीं, 2. बोलते समय हँसता नहीं, 3. गई बात को सोचता नहीं, 4. अपने द्वारा किये गये उपकार को याद करता नहीं, और 5. दो व्यक्तियों की बात के बीच में जाता नहीं, फिर राजन् ! मैं मूर्ख कैसे हुआ ? मूर्ख बनने के तो ये ही कारण हैं।' राजा की समझ में बात आ गई। क्या आपको भी समझ आ चुकी है ? अगर हाँ, तो मैं समझता हूँ कि आप इस प्रकार की मूर्खता को भविष्य में नहीं दोहरायेंगे ।
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पाँचवीं है - पद्म लेश्या यानी सदाबहार सौम्यता । सहजता, सरलता और सौम्यता ही व्यक्ति के जीवन का अंग हो । जैसे कमल का फूल महकता है वह सरल और सौम्य होता है वैसे ही व्यक्ति को बच्चे के समान निष्कपट, सरल, सहज और सौम्य होना चाहिए। मनुष्य का जीवन बच्चों जैसा होना चाहिए, सरलता और निश्छलता से युक्त । जीवन के विकास के लिए बच्चे को बड़ा होना जरूरी है लेकिन जीवन की ऊँचाइयों को छूने के लिए बच्चे जैसा निष्कपट और सहज, सरल मन होना आवश्यक है। परमात्मा के राज्य में वही प्रवेश पाता है जो बच्चे की तरह सरल और निष्कपट होता है। जो सीधे और सरल होते हैं, वे गलती होने पर तुरंत क्षमा मांग लेते हैं। अगर खींचते रहे तो बात का कभी अंत न हो सकेगा। व्यक्ति का जीवन खुली किताब की तरह होना चाहिए। जो अंदर है वही बाहर हो ।
शब्द है पद्म । पद्म यानी कमल । कमल की पहली विशेषता है उसका सौन्दर्य । उसकी सौम्यता पर इससे भी बढ़कर उसकी जो विशेषता है, वह उसकी निर्लिप्तता है। वातावरण चाहे अनुकूल हो या प्रतिकूल, उसके बावजूद वह निष्प्रभावित रहे। कहते हैं कि एक बार सुकरात पर गुस्से में बड़बड़ाते हुए उनकी पत्नी ने जूठन का कुंडा उनके सिर पर उड़ेल दिया। सुकरात हँसते हुए कहा - 'बादल गरजने के बाद तो बरसते ही हैं । '
जीवन में चाहिए सरलता, सहजता और सौम्यता । जिनके जीवन में ऐसा है, उनका आभामण्डल गुलाबी रंग का होता है। गुलाबी रंग खुद ही सौम्यता,
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