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________________ इन्हें मेयो कॉलेज में पढ़ाएं या दून के विद्यालय में, इनका नज़रिया सदा विकृत और दूषित ही बना रहेगा। मेरी बात सुनकर उन महोदय ने कहा, 'साहब, यह कैसेट मेरा नहीं, ड्राइवर का है।' मैंने कहा, 'ज़रा तुम यह सोचो कि तुम्हारे ड्राइवर और तुम्हारे स्तर में फ़र्क ही क्या रहा? क्या तुम दोनों का स्तर समान समझते हो? ड्राइवर ने वह कैसेट चलाई, लेकिन वह कैसेट ड्राइवर की कार में नहीं, तुम्हारी कार में चल रही है, संस्कार तुम्हारे घर के दूषित हो रहे हैं।' मेरी बात सुनकर उनका लज्जित होना स्वाभाविक था। सही है, शिक्षा तो वह हो, जिससे हमें जीने की कला आत्मसात हो, जीने की शैली मिले और हमारे जीवन का स्तर ऊंचा उठे। सोच हो सत्यम् शिवम् सुंदरम् व्यक्ति की जैसी सोच और उसके विचार होंगे, उसका व्यक्तित्व वैसा ही निर्मित होगा। अगर आप अपनी ओर से सत्य के बारे में सोचेंगे, तो आपके जीवन में सत्य उतरेगा, अगर आप शिवम के बारे में सोचेंगे, तो आपके जीवन में शिवम् घटित होगा और यदि सौंदर्य के बारे में चिंतन करेंगे, तो हमारे जीवन में सौंदर्य अवतरित होगा। सत्य के बारे में सोचने वाले व्यक्ति के जीवन में असत्य रह ही नहीं जाता और शिवम् के बारे में चिंतन करने वाले व्यक्ति द्वारा खून की होली नहीं खेली जा सकती। जो व्यक्ति शिवम् और सौंदर्य के बारे में चिंतन करेगा, वह व्यक्ति कभी भी किसी पर पलत नज़र नहीं डालेगा, क्योंकि वह जानता है कि पलत नज़र डालना भी अपने आप में एक कुकृत्य है। सौंदर्य के नाम पर हमने केवल लिपस्टिक और पाउडर पर ही ध्यान दिया है। हमने कभी भीतर के सौंदर्य पर ध्यान ही नहीं दिया। व्यक्ति अगर भीतर के सौंदर्य के बारे में सोचता है, उस पर विचार करता है, तो उसका जीवन अपने आप सुंदर होता चला जाएगा। क्या आपने गांधी को पारंपरिक सौंदर्य के पैमाने पर परख कर देखा है? गांधी उस दृष्टि से बिल्कुल सुंदर नहीं थे, फिर भी उस आदमी के चित्त में, उसके मानस में चलने वाले सत्यम्-शिवम् सुंदरम् के चिंतन ने उन्हें सत्यमय-शिवमय-सौंदर्यमय बना दिया था। 86 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003874
Book TitleLakshya Banaye Safalta Paye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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