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जाए और वर्तमान में ऐसे बीज न बोए जाएं, भविष्य में जिनकी फसलों को काटते समय खेद और गिला रहे। वर्तमान का ही ऐसा प्रबंध हो कि भविष्य वर्तमान का सुनहरा परिणाम बने।
हीन भावना दूर हटाएं चित्त का दूसरा बोझ है, हीन-भावना से ग्रस्त होना। आदमी के भीतर यह बोझ पलता है कि वह हर वक्त अपने आपको हीन भावनाओं से घिरा हुआ पाता है। उसे हर समय यह लगता है कि मैं कायर हूं, कमजोर हूं, मैं कुछ नहीं कर सकता, मुझमें कुछ नहीं, मैं तुम्हारे मुकाबले क्या हो सकता हूं? हीनता का यह विचार, यह ग्रंथि आदमी की सकारात्मक सोच, आत्मविश्वास, स्वाभिमान और उसके गौरव को कुंठित कर डालती है। आदमी जब किसी दूसरे सुंदर व्यक्ति को देखता है, तो सोचता है कि मै सुंदर नहीं हूं। कभी उसे लगता है कि मैं काला हूं, कभी लगता है कि मैं कम पढ़ा-लिखा हूं, कभी लगता है कि मैं अपाहिज हूं। कभी आदमी को लगता है कि उसके पास पैसे नहीं हैं, वह कमजोर है। आदमी अपने चित्त में यह सोच-सोचकर अपने आपको, अपने मन-मस्तिष्क को भारभूत बना लेता है कि मुझमें अमुक-अमुक कमी है।
अगर आप यह सोचते हैं कि आपके हाथ में एक छोटी-सी छठी अंगुली और निकल आई, इस कारण आप अपने आपको कमजोर
और हीन समझते हैं, तो ज़रा उसको भी तो देखो, जिसका पूरा हाथ ही कटा हुआ है। तुम्हारे चेहरे पर आंख के एक किनारे छोटा-सा दाग है, जिसके कारण तुम अपने आपको बदसूरत समझते हो, ज़रा उस पर भी तो नज़र डालो, जिसकी एक आंख ही नहीं है। अपने से बड़ों को देखकर यह सोचना कि मैं छोटा, मैं अपाहिज, मैं कुछ करने जैसा नहीं हूं, अनुचित है। हर समय आत्मविश्वास से भरे रहो, सोचना है, तो हमेशा सकारात्मक सोचो। ईश्वर ने जो दिया है, उसके प्रति शुक्रिया अदा करो। जो दिया है, हम उसमें ही आनंद मनाएं। वह आनंद ही अनेरा होगा।
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