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मस्त रहें हर हाल में मेरे संदेशों का सार-सूत्र है, मस्त रहो, हर हाल में मस्त रहो। हर हाल में मस्ती और खुशमिजाज़ी आत्मा का सबसे बेहतरीन स्वास्थ्य है। रूखी-सूखी मिल गई तो भी मस्त, चिकनी-चुपड़ी मिल गई तो भी मस्त। मैं क्यों दुनिया की सोचूं? दुनिया की वह सोचेगा, जो दुनिया को बनाता है। मैं तो अपने बारे में सोचूं और अपने में मस्त रहूं। तब तुम देखोगे कि तुम कितने शांत और प्रसन्न-चित्त हो । कोई मेरे चलने को देखे, तो असमंजस में पड़ जाएगा, क्योंकि मेरा हर कदम बहुत प्रफुल्लित क़दम होता है। मेरा हाथ का उठाना भी मुझे आनंद देता है। मेरा बतियाना भी मुझे सुकून देता है। मैं आप लोगों से इसलिए बोल रहा हूं, क्योंकि मुझे बोलना भी सुख देता है। मेरे लिए वाणी का उच्चारण करना भी आप सब लोगों के जीवन से प्यार करने जैसा है। चिंता नहीं, जो होता है, संयोग है। आने वाले कल के बारे में सोच-सोचकर तुम अपनी काया को ही दुबली करोगे। निश्चित रहो। अरे, जो आने वाला कल देगा, वह कल की व्यवस्था भी देगा। ___ कोई अगर मुझसे पूछे कि मेरे जीवन में संतोष और शांति कैसे आई, जबकि मनुष्य तो मैं भी हूं! मैंने जब किसी मां को किसी संतान को जन्म देते देखा और उसकी कोख से बच्चा बाहर निकल आया
और बाहर निकलते ही वह रोने लगा, तो मां ने झट से अपना आंचल उघाड़ा और उसको दूध पिलाना शुरू कर दिया। जीवन में देखा गया यह दृश्य सदा-सदा के लिए आनंदित कर बैठा कि जो प्रकृति, जो ईश्वर मनुष्य को जन्म देने से पहले उसके जीवन की व्यवस्था करता है, फिर हमें किस बात की चिंता! हम जन्म बाद में लेते हैं, मां का आंचल दूध से पहले भर जाता है। दुनिया में किसी की बेटी अब तक धन के अभाव में कुंआरी नहीं रही है। कोई-न-कोई व्यवस्था बैठ ही जाती है और बेटी पार लग ही जाती है। तू किस बात की चिंता करता है? मस्त रह, मस्त, हर हाल में मस्त। ___ हर हाल में मस्त रहना, संतुष्ट और प्रसन्न रहना चिंता से मुक्त होने का रामबाण तरीका है। न अतीत की सोचो और न भविष्य की। उपयोग हो वर्तमान का। अतीत की ग़लती वर्तमान में न दोहराई
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