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________________ आत्मविश्वास की अलख जगाएं मैं कहना चाहूंगा एक ऐसे व्यक्ति के बारे में, जिसने आत्मविश्वास को नई ऊंचाइयां दीं । उस व्यक्ति ने अपने जीवन के इक्कीसवें वर्ष में व्यापार किया और वह असफल हो गया । बाइसवें वर्ष में उसने चुनाव लड़ा, मगर उस छोटे-से चुनाव में वह हार गया। सत्ताइस वर्ष की उम्र में उसकी पत्नी का देहावसान हो गया और अट्ठाइसवें वर्ष में वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठा। अपनी उम्र के पैंतीसवें वर्ष में उसने कांग्रेस का चुनाव लड़ा और वह चुनाव भी हार गया । उसने अपने जीवन के पैंतालीसवें वर्ष में सीनेट का चुनाव लड़ा, मगर वह चुनाव भी हार गया। सैंतालीसवें वर्ष में उसने उपराष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा, वह उसमें भी हार गया, लेकिन बावनवें वर्ष में उसने फिर चुनाव लड़ा। इस बार जीत उसके हाथ लगी । वह एक साधारण इनसान से उठकर अमेरिका का राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन बन गया। यदि व्यक्ति अपने आप पर आत्मविश्वास, स्वाभिमान तथा निरंतर सकारात्मक सोच और कर्मठता बनाए रखे, तो दुनिया में मिलने वाली सौ-सौ असफलताएं भी उसको सफलता की ओर ही ले जाएंगी । ज़िंदगी में कोई भी असफलता, असफलता नहीं होती। याद रखें, आत्मविश्वास के बगैर आप अपनी ज़िंदगी में कुछ नहीं कर पाएंगे । अपने आपको हीन मत समझो। काले हैं, तो ग्रंथि न पालें । श्याम रंग का भी अपना सौंदर्य होता है, वरना उस श्याम के लिए लोग इतने बावरे क्यों होते ? श्याम को काला कहकर अपने आपको हीन मत समझो, उस श्याम रंग का सौंदर्य पान करने की चेष्टा करो । 'ब्लैक इज़ ब्यूटीफुल' । श्याम रंग भी सौंदर्य का आधार होता है । अपने आप पर, अपने छोटे-से-छोटे कार्य पर गौरव करो कि यह मेरा कार्य है, इसे मैंने संपादित किया है । अगर कोई आदमी आपको यहां पर झाड़ू लगाने का काम सौंप दे, तो बड़ी शालीनता से झाड़ू भी लगा लो कि जैसे माइकल एंजलो ने पत्थर को तराश-तराशकर भगवान बुद्ध की प्रतिमा उकेरी हो । कि जैसे रवींद्रनाथ टैगोर अपनी 'गीतांजलि’ की रचना में लगे हों । कोई भी कार्य दुनिया में छोटा नहीं होता । छोटा वह तब बन जाता है, जब तुम कार्य को सही तरीके से नहीं कर पाते हो, उस कार्य के प्रति लापरवाही बरतते हो या पूर्वग्रह पाल लेते हो । Jain Education International 32 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003874
Book TitleLakshya Banaye Safalta Paye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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