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आपका सफलता आपके हाथ
आपकी सफलता आपके हाथ
-संजीव मनोहर साहिल
सफलता मिली की बपौतीही आप भी सफल बन सकते है mmen
- Rana
पर
सफलता प्राप्त करने के लिए ज़बर्दस्त सतत प्रयत्न करो। प्रयत्नशील आत्मा कहती है कि मैं समुद्र पी जाऊंगी, मेरी इच्छा से पर्वत के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे। इस प्रकार की शक्ति एवं इच्छा रखो, कड़ा परिश्रम करो, तुम अपने उद्देश्य को निश्चित पा जाओगे।
__ -स्वामी विवेकानंद
आज की अर्थ-प्रधान व्यवस्था में यानी कारपोरेट कल्चर में चारों तरफ़ होड़ मची है। हर कोई सफल होना, उन्नति करना चाहता है, ताकि भीड़ में अपनी अलग पहचान बना सके। सफलता कभी खरीदी या कमाई नहीं जा सकती, बल्कि निरंतर बिना थके परिश्रम करके अर्जित की जाती है। सफल व्यक्ति ठोस धरातल पर सतर खड़ा होता है, मील के पत्थर की तरह, जिसे अपनी जगह से हिलाया नहीं जा सकता। वह अपने समय का प्रकाश स्तंभ और कीर्ति स्तंभ एक साथ होता है। ज़माना उससे रोशनी पाता है और उसके व्यक्तित्व की महिमा सब जानतेसुनते हैं। तो फिर इसके लिए कौन से प्रयत्न करें और अपने आपको कैसा बनाएं?... आइए, इसके लिए आज से ही शुरू हो जाएं। तलाशें अपने भीतर की तमाम कमियां और कमजोरियां। उन्हें एक-एक कर निकाल फेंकें। आप ऊर्जावान
और सक्षम बनते चले जाएंगे। आप में दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास पैदा होता जाएगा। फिर आप चुनौतियों से मुकाबला करने के लिए हरदम तत्पर रहेंगे। ऐसे में अपना रास्ता आपको स्वयं मिलता जाएगा। आप सावधानी के साथ उस पर चलेंगे और मंजिल पर पहुंच जाएंगे। यही तो है सफलता का वह विज्ञान, जिसे आप ढूंढ़ रहे थे। मिला है, तो व्यवहार में लाएं, अपने को सफल बनाएं।
आकार: 5.5" x 8.5"• पृष्ठ : 144 मूल्य : 80/- • डाकखर्च : 25/
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