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जिाएँ तो श्री चन्द्रप्रभ
जिएं तो ऐसे जिएँ
- श्री चन्द्रप्रभ
प्रतीक हासिकोमा लेकिन विवार तीवोamera Swome an aftestants. नही ngressme-mहै।
पस्कम
स्वस्थ और मधुर जीवन जीने का पहला और आखिरी मंत्र हैः सकारात्मक सोच। यह एक अकेला ऐसा मंत्र है, जिससे न केवल व्यक्तिगत और समाज की, वरन् समग्र विश्व की समस्याओं को सुलझाया जा सकता है। यह सर्वकल्याण कारी महामंत्र है। कोई अगर पूछे कि मानसिक शांति और तनाव-मुक्ति की कीमिया दवा क्या है? तो सीधा-सा जवाब होगा-सकारात्मक सोच। मैंने अनगिनत लोगों पर इस मंत्र का उपयोग किया है और आज तक यह मंत्र कभी निष्फल नहीं हुआ। सकारात्मक सोच का अभाव ही मनुष्य की निष्फलता का मूल कारण है। मेरी शांति, संतुष्टि, तृप्ति और प्रगति का अगर कोई प्रथम पहलू है, तो वह सकारात्मक सोच ही है। सकारात्मक सोच ही मनुष्य का पहला धर्म हो और यही उसकी आराधना का बीज-मंत्र। सकारात्मक सोच का स्वामी सदा धार्मिक ही होता है। सकारात्मकता से बढ़कर कोई पुण्य नहीं और नकारात्मकता से बढ़कर कोई पाप नहीं; सकारात्मकता से बढ़कर कोई धर्म नहीं और नकारात्मकता से बढ़कर कोई विधर्म नहीं।
- श्री चन्द्रप्रभ
आकार: 5.5" x 8.5"• पृष्ठ : 136 मूल्य : 100/- • डाकखर्च : 25/
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