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कला आई, जिन्हें जीवन जीने का मार्ग मिला उनके लिए जीवन धन्य हो गया। यह आप पर निर्भर है कि आप अपने जीवन को गुनगुनाते हुए जियें या भुनभुनाते हुए जिएँ। बुढ़ापा है तो अच्छे गीत गाओ, अच्छी कविताएँ गाओ, अच्छे चित्र बनाओ, प्रकृति के अच्छे नज़ारे देखो, अच्छे बोल बोलो, अच्छे संवाद करो और अच्छी जिंदगी जीने की कोशिश करो। यह हम पर निर्भर है कि हम जीवन को कौन-सी दिशा और मार्ग दे रहे हैं। अगर जवानी सुख भोगने के लिए है तो बुढ़ापा दुःख भोगने के लिए नहीं है। बुढ़ापा पीड़ाओं को भोगने या शैय्या पर पड़े रहने के लिए नहीं है और न ही बेकार की बकवास करने के लिए है।
बुढ़ापा तो शांति से जीने के लिए है। जवानी में व्यक्ति शांति नहीं पा सकता क्योंकि जवानी में उधेड़बुन रहती है, मैं कहूँगा कि जवानी को अगर सुख से जीओ, तो बुढ़ापे को शांति से जीओ। हम ऐसा क्या करें कि हमारा बुढ़ापा सार्थक हो जाए। हमारा बुढ़ापा हमारे लिए उपयोगी बन जाए। मृत्यु से पहले हमारी मुक्ति का मार्ग खुल जाए। बुढ़ापे के लिए तीन संकेत आपको देता हूँ जिससे हम अपने बुढ़ापे को सही तरीके से जी सकें, स्वस्थ और प्रसन्न मन से जी सकें। बुढ़ापा हो – स्वस्थ, कार्यरत और सुरक्षित। लीजिए उचित आहार और व्यायाम
बुढ़ापे में पहली सावधानी रखी जानी चाहिए उचित आहार की। संयमित व संतुलित आहार लें। ज़वानी में तो आप सब कुछ हज़म कर लेते थे, तीखा-खट्टा-मीठा-चरपरा सब पच जाता था, लेकिन बुढ़ापे में आप ऐसा नहीं कर पाएँगे क्योंकि पाचनतंत्र कमजोर हो जाता है। आहार-विहार, खान-पान का संयम बुढ़ापे में लाभकारी रहता है। समारोह में विभिन्न व्यंजनों को देखकर ललचाएँ नहीं। ये आपके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। महीने में एक बार किसी चिकित्सक से अपने शरीर की जांच जरूर कराएँ । कहीं ब्लड शुगर तो नहीं बढ़ गई है, रक्तचाप में बार-बार परिवर्तन तो नहीं हो रहा है, कोई रोग आपके शरीर में जगह तो नहीं बना रहा है ? चिकित्सकीय परीक्षण से सारी संभावनाओं का
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