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नजरअंदाज न करें। अपने मित्र को समझाने की कोशिश करें, उसे सही रास्ते पर चलने की फरियाद करें। तब भी अगर आप महसूस करें कि आपका मित्र गलत आदतों का त्याग करने के लिए तैयार नहीं है तो आपके हित में है कि आप अपने उस घनिष्ठ मित्र का भी त्याग कर दें। उसकी कुटेव को नज़रअंदाज़ न करते हुए आप उसे ही छोड़ दें। मित्र वह नहीं जो हाँ में हाँ मिलाये । सच्चा मित्र वही है जो हित में हाँ मिलाये।
अगर आपके जीवन में गलत आदत है तो खोजिए कि ऐसा किस कारण है, व्यक्ति जन्म से न तो सभ्य होता है, न फूहड़। अगर व्यक्ति सभ्य है तो जरूर ही उसके आसपास के लोग जिनके बीच वह जी रहा है वे भी सभ्य हैं । व्यक्ति के जीवन में असभ्यता और फूहड़पन है तो जान लें कि वह असभ्य और फूहड़ लोगों के बीच जीया है। अगर आपकी आदत सिगरेट पीने की, गुटखा चबाने की, शराब पीने की है या और कोई बुरी आदत हो तो उस पहले दिन को याद करें कि यह आदत आपमें कहाँ से और कैसे आई। ये गलत आदतें, गलत संस्कार या दुर्व्यसन हमारी जिंदगी में कहाँ से आए। तब आपको पता चलेगा कि कहीं न कहीं किसी गलत व्यक्ति का साथ रहा होगा और आपको पता ही न चला और कुछ ही दिनों में उसने एक गलत संस्कार आपकी जिंदगी में छोड दिया। काम पड़ने पर जब आप सजग हुए तो आपने उस आदमी को तो छोड़ दिया लेकिन वह छूटा हुआ आदमी गलत संस्कार आपके जीवन में छोड़ गया। इसलिए सदैव सजग और सावधान रहें कि आप किन लोगों के बीच हैं और
आपका पुत्र किन लोगों के बीच है। मित्र घर के बाहर भले
जब आप यह ध्यान रखते हैं कि आपका बच्चा स्कूल में क्या पढ़ाई कर रहा है, कितने अंक ला रहा है, तब इस बात के लिए भी सजग रहें कि वह किन्हें अपना मित्र बना रहा है। अगर आपके पुत्र के दोस्त आपके घर पर आ रहे हैं तो इस बात की सावधानी रखें कि वे कौन हैं। अपने पुत्र को बताते रहें कि
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