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________________ थे, या ट्रेन में सफर करते हुए मिले थे या फिल्म देखने जा रहे थे तब मिले थे, या सत्संग में जाते हुए मिल गए धीरे-धीरे परिचय बढ़ा, हमने अपना विजिटिंग कार्ड उसे दिया, उसने अपना विजिटिंग - कार्ड हमें दिया। मेल-मिलाप बढा। इस तरह के मेल-मिलाप से मित्रता बढ़नी शुरू हो गई। न हम जांच-पड़ताल कर पाए कि सामने वाला व्यक्ति कैसा है और न ही वह जाँच-परख पाया कि हम कैसे हैं? ____ मैत्री-भाव सबके साथ रखा जाना चाहिए। जीवन में 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना सबके साथ रखनी चाहिए। मैत्री-भाव का जितना विस्तार हो, अच्छी बात है लेकिन निजी मित्रता बहुत सजगता और सावधानी के साथ हो क्योंकि हमारा मित्र हमारा प्रतिरूप हमारा सहचर होता है। वह जीवन के साथ जुड़ा रहता है। व्यक्ति सर्वाधिक मित्रों से प्रभावित होता है, माँ और पत्नी की बात कभी टाल भी सकता है, पर मित्र की बात नहीं टाल पाता। इसलिए भूलकर भी कोई ऐसा व्यक्ति हमारा प्रतिरूप न बन जाए, हमारा निकटवर्ती न बन जाए जो किन्हीं गलत मार्गों पर चल रहा हो या गलत आदतों का शिकार हो। अपनी संतान को इस बात का विवेक अवश्य दें कि वह जीवन में सबके साथ मैत्रीभाव, प्रेम और दया रखे, लेकिन जिसे वह अपना मित्र, सखा, सहचर या जीवन का अंग कह सके उसके लिए ऐसे व्यक्ति का चयन करना है, जिससे तुम भी गौरवान्वित हो, तुम्हारे जीवन का भी विकास हो और तुम्हारे जीवन में अच्छे संस्कारों की शुरुआत भी हो। मित्र में दाग़, तुरंत दें त्याग आपका कोई ऐसा परम मित्र होगा जो बचपन से ही आपके साथ रहा है, आप लोग स्कूल एक साथ गए हैं, कॉलेज में भी एक साथ पढ़े हैं, एक ही साइकिल या स्कूटर पर बैठकर आए गए हैं, लेकिन जिस दिन आपको खबर लगे कि आपका घनिष्ठतम मित्र भी किसी गलत सोहबत में पड़कर, गलत आदतों और गलत संस्कारों की गिरफ्त में आ गया है तो उन गलत बातों को 46 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003873
Book TitleKya Swad Hai Zindagi ka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2011
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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