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लिए वैर-विरोध की गांठ । कुछ लोग ऐसे होते हैं जो छोटी-छोटी बातों की गांठ बांध लेते हैं और गांठ भी ऐसी कि चाहे जितनी कोशिश करो, गांठ नहीं खुले। भगवान से पूछा गया प्रभो! दुनिया में बंधन और मुक्ति क्या है ?' भगवान ने कुछ उत्तर न दिया।थोड़ी देर बाद उन्होंने पास पड़ा एक वस्त्र उठाया, पता नहीं क्या मन में आया, हाथ में लेकर उसमें गांठ लगा दी। शिष्य को आश्चर्य हुआ कि उसने तो भगवान से पूछा था कि बंधन क्या है तो भगवान ने कोई जवाब नहीं दिया, बल्कि कपड़े में गांठ लगाकर उसे भी रख दिया।
शिष्य ने थोड़ी देर बार पूछा 'भगवन ! मुक्ति क्या है?' भगवान फिर भी मौन रहे। उन्होंने उस वस्त्र को पुनः उठाया, उसकी गांठ खोली, वापस समेटा और अपने पास रख लिया। शिष्य ने कहा 'प्रभो ! मैं तो आपसे प्रश्न पूछ रहा हूँ और आप तो नई पहेली खड़ी कर रहे हैं, कपड़े में गांठ लगाते हैं और कभी खोलते हैं। भगवान ने कहा 'वत्स, मैं तुम्हारे प्रश्नों का ही जवाब दे रहा हूँ।' जिंदगी में बंधन वही होता है, जहाँ गांठ होती है और मुक्ति वहीं मिल जाती है, जहाँ व्यक्ति अपने मन की गांठों को खोल देता है।' सुविधाएँ सारी, पर नींद नहीं ___ कोई बहुत बड़े संकट जिंदगी में V चिंता के कारण नहीं बनते हैं बल्कि छोटी-छोटी बातों के कारण ही व्यक्ति चिंताग्रस्त हो जाता है। चिंता के दुष्परिणाम आपने देखे हैं ? आप चिंता का एक भी अच्छा परिणाम नहीं पाएंगे। चिंता में सबसे पहले नींद जाती है। भले आप मखमल के गद्दे पर ए.सी. में सोए हों, लेकिन चिंता आपके साथ है तो आप सुख की नींद नहीं सो पाते। अमेरिका में तो तीस प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जो नींद की गोली न लें तो नींद नहीं आती। सुविधाएं सारी हैं, पर चैन की नींद नसीब नहीं। नींद न आना, चिंता का पहला दुष्परिणाम है। ___ अच्छी नींद के लिए आप एक प्यारी-सी विधि से गुजर सकते हैं। पहले आँखे बंद करके लेट जाएं। स्वयं को अनर्गल विचारों से मुक्त करें और अनुभव करें कि हर सांस के साथ आप एकदम अच्छा और शांत महसूस कर रहे हैं।
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