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________________ हो गये उसे यों बिस्तर पर हाथ-पाँव चलाते। मैंने पूछा, 'ये तुम क्या कर रहे हो ? बिस्तर पर हाथ-पांव क्यों चला रहे हो ?' कहने लगा, 'तैरना सीख रहा हूं।' मैंने कहा, 'बिस्तर पर कोई कैसे तैरना सीख सकता है?' कहने लगा, 'तैरना तो पानी में ही सीखा जाता है पर क्या करूं पानी में उतरने में डर लगता है।' जो पानी में नहीं उतरेंगे वे जीवन में कभी तैरना नहीं सीख सकते। भगाएं भय का भूत चिंता का दूसरा कारण भय है। व्यक्ति के मन में हमेशा भय की ग्रंथि बनी रहती है कि कहीं उसके साथ कुछ हो न जाय, कोई उसके साथ कुछ कर न दे, कोई उसका कुछ बिगाड़ न दे। थोड़ा-सा बीमार पड़ा कि भयभीत होता है कहीं मर न जाऊं। जो होना है, वह होकर रहता है। होनी को टाला नहीं जा सकता। अनहोनी को किया नहीं जा सकता, फिर भय किस बात का। दुनिया में जो जन्मता है, निश्चित ही मरता है, कौन अमर हुआ है? जो भी मरे हैं वे सोमवार से रविवार तक ही मरे हैं। कोई आठवां वार हुआ नहीं है। फिर फिक्र कैसी, क्योंकि मरना तो निश्चित ही है। याद रखें, भयग्रस्त व्यक्ति सदा चिंताग्रस्त रहता है छोटी बातों का बड़ा सिरदर्द ___ जीवन में चिंता का चौथा कारण है-छोटी-छोटी बातों पर माथापच्ची। कोई बहुत बड़ी बात को लेकर व्यक्ति आपस में उलझे, चर्चा भी करे, बात भी करे तो समझ में आये, लेकिन छोटी-छोटी बातों को लेकर झगड़े होते हैं। घर में सोने-चांदी, कपड़े-मकान-दुकान को लेकर झगड़े नहीं होते, बहुत छोटी बातें, बड़ी बातें बन जाती हैं और झगड़े शुरू हो जाते हैं। एक छोटा-सा समाधान बहुत बड़ी समस्या को समाप्त कर सकता है और एक छोटी-सी उलझन जिंदगी में बहुत बड़ी समस्या को पैदा कर सकती है। व्यक्ति अपने जीवन में छोटी-छोटी बातों की मग़जमारी से मुक्त रहे। चिंता का एक और कारण है जीवन में पलने वाली छोटी-छोटी बातों के Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003873
Book TitleKya Swad Hai Zindagi ka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2011
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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