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उसके बाद धीरे-धीरे सांस छोडें और साथ ही शरीर को भी ढीला छोड़ दें। जो सांस आप बाहर छोड़ रहे हैं, उसके साथ महसूस करें कि आप पूरे दिन की थकान और चिंता को बाहर छोड़ते जा रहे हैं और खुद विश्राम पा रहे हैं । आठदस बार ऐसा करें । अन्तर्मन में केवल शांति का अनुभव करें। ___पाचन शक्ति समाप्त होना चिंता का दूसरा दुष्परिणाम है। अगर आप कब्जियत से पीड़ित हैं तो मान ही लीजिये कि आप चिंताग्रस्त हैं । चिंता कब्जी का मूल कारण है । एक व्यक्ति को कब्ज का रोग था। वह डॉक्टरों के पास गया, अलग-अलग तरह के उपचार किए गए, सभी परीक्षण हो गए, लेकिन रोग का पता न चल सका। कुछ दिनों बाद वह हमारे पास आया और कहा कि उसे पेट का रोग है, हम ही कुछ उपचार कर दें। ____ मैंने उसके चेहरे को पढ़ा और कहा 'रोग तुम्हारे पेट में नहीं है।' वह सकपकाया और कहने लगा 'सारे डॉक्टर पेट का इलाज़ कर रहे हैं और आप कहते हैं रोग पेट में नहीं है।' मैं उसे अलग कमरे में लेकर गया और प्यार से पूछा 'सच बताओ तुम्हें किसी बात की खास चिंता है क्या ?' पहले टाल-मटोल करते रहे फिर उसके मन को टटोलने की कोशिश की तो कहने लगा 'साहब! एक बात की जबर्दस्त चिंता है कि आजकल मार्केट बहुत डाउन होता जा रहा है।' मैं समझ गया कि इस व्यक्ति के रोग का क्या कारण है ? धंधा मंदा चल रहा है' कहने लगा 'पिछले साल मैंने फैक्ट्री में बीस लाख रुपए कमाए थे, जबकि इस साल केवल आठ लाख ही कमा पाया। बस यही चिंता सता रही है कि अगर ऐसा ही धंधा चला तो अगले वर्ष क्या होगा ?'
आठ लाख कमाए इसका संतोष उसे नहीं है, किन्तु बारह लाख न कमा पाया, इसका दुःख चिंता बनकर धीरे-धीरे उसके पेट तक पहुँचा और पेट के रोग पैदा हो गए। चिंता से हमारी मन की शांति तो भंग होती ही है साथ ही आध्यात्मिक शक्तियाँ भी नष्ट हो जाती हैं। चिंता नदे कोई हल
हम चिंतामुक्त ज़रूर हो सकते हैं लेकिन उससे पहले पूछना चाहूंगा कि
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