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________________ निकाल दिया। आप घर आए, रात भर सोचते रहे, चिंता करते रहे। पत्नी ने कहा, सो जाओ। तुम सो नहीं पाए। कमरे में ए.सी. चल रहा था तम पसीने से तर-बतर । एक ही चिंता, 'ये रूपये कैसे डूब गए, आखिर मैंने दिये ही क्यों?'। धन तो गया सो गया ही सुख की रोटी और चैन की नींद भी साथ ही चली गयी। लग न जाए यह घुन __चिंतन व्यक्ति के जीवन में विकास के द्वार खोलता है और चिंता विकास के द्वारों को अवरूद्ध कर देती है। चिंता घुन है, वहीं चिंतन धुन। चिंतन हमारी बुद्धि को प्रखर करता है लेकिन चिंता बुद्धि को जाम कर देती है पर ऐसा लगता है चिंता हमारे साथ घुलमिल गई है। जब कभी आप अपनी सफलताओं से, अपने सुख-विकास से वंचित रह जाते हैं, तो केवल चिंता के दायरे में जिया करते हैं। जैसे गेहूं को घुन भीतर ही भीतर खाकर खत्म कर देती है ऐसे ही चिंता मनुष्य को भीतर से खोखला कर देती है। मैंने ऐसे कई लोगों को देखा है जो सम्पन्न हैं, जिनके पास ऐशो-आराम के सभी साधन होते हैं, पर उनके चेहरों पर तो मायूसी ही नज़र आती है। वे या तो चिंताग्रस्त हैं या तनावग्रस्त। गरीब धनहीन होकर भी खुश और प्रसन्न हो सकता है, वहीं अमीर सम्पन्न होकर भी दुःखी, तनावग्रस्त और चिंतातुर हो सकता है। किसी अमीर को उदास देखता हूँ तो लगता है कितना अच्छा होता यह व्यक्ति सम्पत्ति का मालिक होने की बजाय शांति का मालिक हो जाता। गरीब, फुटपाथ पर भी सो रहा है, तो भी खुश है, लेकिन अमीर आदमी को सोने के लिए नींद की तीन-तीन गोलियाँ लेनी पड़ती हैं, फिर भी नींद नहीं आती । मज़दूर तो फुटपाथ पर अखबार बिछाकर सो जाते हैं, वे कभी नींद की गोलियाँ नहीं खाया करते। स्वभाव से प्रसन्न हैं, अन्तर्हदय में शांत हैं वे झोंपड़ी में भी मस्ती की नींद लेते हैं। तनावग्रस्त और चिंतित आदमी अगर महल में भी सो रहा है तो ठीक से नहीं सो पाता है। इसलिए व्यक्ति 28 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003873
Book TitleKya Swad Hai Zindagi ka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2011
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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