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________________ चिंताओं ने छीना चैन यदि कोई विद्यार्थी स्कूल जाता है तो पढ़ाई और परीक्षा की चिंता, परीक्षा देने के बाद परिणाम की चिंता। आगे बढ़ने पर कॉलेज की पढ़ाई की चिंता और आगे कैरियर की, व्यक्तित्व-निर्माण की, नौकरी, धंधे तथा व्यवसाय की चिंता। उसके बाद शुरू होती है कभी विवाह की चिंता, कभी घर-खर्च की चिंता, कभी लड़के-लड़की के विवाह की चिंता। इस तरह न जाने कितनी चिंताएं व्यक्ति को घेरती रहती हैं। भविष्य की चिंता, सेहत की चिंता, कभी प्रमोशन की चिंता, पति-पत्नी की चिंता। दिन में जितने घंटे होते हैं, चिंताएं उससे ज्यादा ही होती हैं। समझिए आदमी बूढ़ा हो गया तो बुढ़ापे के सार-सम्हाल की चिंता। अगर तबियत बिगड़ गयी तो ठीक होगी या नहीं, इसी की चिंता। अगर तबियत ठीक न हुई और मृत्यु के करीब पहुंच गये तो मरने के बाद स्वर्ग में जाऊँगा या नरक में इसी बात की चिंता। भाई इसमें चिंता की बात क्या है ? अगर मरने के बाद स्वर्ग में चले जाओ तो चिंता की बात नहीं क्योंकि तुम स्वर्ग में ही जाना चाहते थे और नरक में चले जाओ तो चिंता की क्या बात है हमारे कई यार-दोस्त पहले से वहाँ पहुँचे हुए हैं, उनके साथ बतियाते रहना और जिंदगी निकाल देना। आप अनुभव करते होंगे कि आप मंदिर में हैं पर आपके मन में चिंता का भूत सवार है। दुकान से घर, घर से दुकान जाते हैं तो चिंता और तो और रात में जब बिस्तर पर जाते हैं, बिस्तर में उठते हैं हर पल आपके भीतर कोई-न-कोई चिंता सवार रहती है। हकीकत तो यह है कि जो चिंतामुक्त होने की सलाह देता है वह भी चिंता से घिरा रहता है। रात डेढ़ बजे आपकी नींद खुलती है। नींद खुलने के साथ ही आपके मनोमस्तिष्क में मंडराती है कोई घटना, कोई बात, अतीत या भविष्य की कोई चिंता। आप किसी को दो लाख रूपये देते हैं ब्याज पर और वर्ष भर बाद आपको अचानक पता चलता है कि उसने रूपये दबा लिये या दिवाला 27 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003873
Book TitleKya Swad Hai Zindagi ka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2011
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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