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________________ स्थिति में प्रवेश पाने के लिए व्यक्ति को साधना से गुजरना पड़ेगा और यह साधना है - कायानुपश्यना । पहले काया की भीतर - बाहर की अवस्थाओं को समझें, इसके उपद्रवों को समझें और मुक्ति का, महापरिनिर्वाण का लक्ष्य रखें । तभी तो महावीर और बुद्ध जैसे लोग अपने जीवन की लौकिक, दैवीय या अन्य किसी प्रकार की बाधा को सहन कर पाते हैं । मुक्ति की प्यास होने पर बेहतर तरीके से संप्रज्ञान होगा, आतापी बनेंगे और स्मृतिमान तथा सचेतन होकर अपनी साधना में गति और प्रगति कर सकेंगे । मुक्ति के प्रेमी हमने, कर्मों से लड़ते देखे। मखमल पर सोने वाले, काँटों पर चलते देखे || सरसों का दाना जिनके, बिस्तर में भी चुभता था । काया की सुध नहीं, गीदड़ तन खाते देखे । सेठ सुदर्शन प्यारा, रानी ने फंदा डाला । शील को नाहीं छोड़ा, शूली पर चढ़ते देखे || महलों में रहते थे जो, राजा हरिश्चन्द्र वो । सत्य को नाहीं छोड़ा, मरघट पर बिकते देखे || अयोध्या नगर सजा था, राज्याभिषेक रचा था । ऐसे समय श्री राम, जंगल में जाते देखे || अब तो कुछ सोच ले प्राणी, बीती जाए ज़िंदगानी। यौवन आने से पहले, अर्थी पर चढ़ते देखे || कर्मों से वही लड़ते हैं, जो मुक्ति के प्रेमी हैं । मुक्ति की प्यास हो, तो पंख खुद उग जाते हैं और हम मुक्ति के आकाश में उड़ जाते हैं । कायानुपश्यना जमीनी राग को, काया की आसक्तियों को हटाने का उपक्रम है। अब हम कायानुपश्यना से आगे के पड़ाव पार करते हैं । कायानुपश्यना के साथ हम वेदनानुपश्यना को भी समझ चुके हैं- सुखद वेदना, दुःखद वेदना, असुखद या अदुःखद वेदना | वेदना अर्थात् अहसास | वेदना का अर्थ केवल पीड़ा ही नहीं है। वेदना का अर्थ है अनुभूति और संप्रज्ञान का अर्थ होता है प्रत्यक्ष अनुभूति करना। हम सभी जानते हैं कि जगत, काया, मन सब मरणधर्मा हैं, एक-नएक दिन सारे संबंध टूट जाने वाले हैं, फिर भी हम संबंधों को निभाते हैं। क्यों निभाते हैं ? कहते तो सभी हैं - ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या । लेकिन कहने वाले लोग क्या हक़ीक़त में जगत को मिथ्या मान पाते हैं ? क्या ब्रह्म को सत्य रूप में जीवन 1 Jain Education International For Personal & Private Use Only 127 www.jainelibrary.org
SR No.003871
Book TitleVipashyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2013
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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