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________________ दु:खी हो जाता है। जब वह तनावग्रस्त या अवसादग्रस्त हो जाता है तो वह आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है। समाचार पत्रों में हम रोज आत्महत्या की खबरों के बारे में पढ़ते हैं। मैं समझता हूँ इस तरह आत्महत्या करने वाली महिलाएँ दहेज के कारण ऐसा कदम कम उठाती हैं इसमें भी मूल कारण कहीं न कहीं मानसिक तनाव ही रहता है। जितना तनावग्रस्त मनुष्य आज है उतना पहले नहीं था। हमारी दिन-रात की व्यवस्थाओं में ऐसी अनेक बातें और घटनाएँ होती हैं जो हमारे तनाव को बढ़ाती हैं । यह संभव नहीं है कि दुनिया में हर आदमी जो चाहे उसे वही मिल जाये। सम्पन्नता पहले भी थी और आज भी है। अभाव पहले भी थे और आज भी हैं। आज अगर कोई चीज बढ़ी है, तो हमारी आपसी खींचतान ही बढी है. मानसिक द्वंद्व ही बढ़ा है। महानगरों में बसों और टेनों से प्रतिदिन शुरू होती है जीवनयात्रा। दिनभर इतनी उलझन भरी रहती है कि व्यक्ति कुछ पल के लिए भी दिन में अपने मन और मस्तिष्क को विश्राम नहीं दे पाता। और उसमें भी रात को सोने से पहले देखे जाने वाले मारधाड़ या सेक्स से भरी फिल्में या टी.वी. के उल्टे-सीधे दृश्य मन की शांति को भंग करने में अहम् भूमिका अदा करते हैं। शरीर के रोग और विकारों पर विश्व में तेजी से अनुसंधान हो रहा है और उनका निदान भी हो रहा है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार रोगों की उत्पत्ति केन्द्रों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है इसलिए इन पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। तनाव, अवसाद, घुटन, ईर्ष्या, चिंता ये सब विश्वभर के चिकित्सकों के लिए गंभीर चुनौती बन गए हैं। दमा हो या दाद, एग्जीमा हो या ब्लडप्रेशर, शुगर का बढ़ना हो या हार्ट प्रोब्लम, वास्तव में इनके पीछे चिंता, अवसाद और मानसिक तनाव छिपे रहते हैं। आधुनिकता की इस दौड़ में तेज रफ्तार की जिंदगी और दम घोटने वाला वातावरण हमें जहाँ मानसिक तनाव से ग्रस्त करता है वहीं तनाव रोगों के रूप में शरीर पर अपना प्रभाव दिखाता है। विश्व के कई चिकित्सकों ने मन और शरीर के रोगों पर काफी गहरा अनुसंधान किया है। एक बात साफ तौर पर सिद्ध हो गयी है कि भय, ग़म, चिंता, ईर्ष्या, बुरे विचार और इनसे पैदा हुई बुरी तरंगें हमारे पेट 12 For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003870
Book TitleChinta Krodh aur Tanav Mukti ke Saral Upay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2012
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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