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________________ किसी के कल्याण के लिये अपनी ओर से जो कुछ भी हो सके, कर दो। अगर नहीं कर सको तो सहज रहो, अपने मन को हमेशा निर्मल रखो। मैंने सुना है - अमेरिका में एक भिखारी था। जब वह मर गया तो पुलिस उसके शव को अन्त्येष्टि के लिये उठाने आई। वह सड़क के किनारे ही रहता था, अत: उसका सामान भी वहीं पड़ा था। पुलिस ने वहाँ दो थैले देखे। उनमें फटे-पुराने कपड़े थे और थी बैंक की एक पासबुक और एक चैकबुक। पासबुक में देखा तो पाया कि उसके नाम से बैंक में साढ़े तीन लाख डॉलर जमा थे और चेक बुक को टटोला तो उसमें एक ब्लैंक चेक पर साइन किए गए थे। चेकबुक पर एक नोट लिखा हुआ था कि मैंने भीख माँग-माँगकर ये पैसे जमा किए हैं, इनका उपयोग मेरे मरने के बाद, मुझ जैसे ही मांगने वाले लोगों के कल्याण के लिए किया जाए। जब मैंने इस घटना के बारे में जाना तो मेरे दिल ने कहा - किसी को भी हो न सका उसके कद का अंदाज, वो आसमां था, पर सर झुका के जीवन भर बैठा रहा। आप इतने महान् भले ही न बन सकें पर इतनी विराटता जरूर दिखा सकते हैं कि अपने मन की कटुता, कलह, संघर्ष की भावना को कम करें। अगर आपके पाँव में काँटा चुभ जाए और आप चलते रहें तो वह आपको तकलीफ देता रहेगा लेकिन उस कांटे को निकाल दिया जाए तो आपको अवश्य ही राहत मिलेगी। इसी तरह आपके मन में जो काँटे चुभे हुए हैं, उन काँटों को बाहर निकाल दें तो आपको बहुत राहत मिलेगी। जिस दिन आपने उन काँटों को निकाल दिया तो मान लीजिए उस दिन संवत्सरी हो गई, क्षमापना हो गई, पर्युषण हो गए, आप वीतद्वेष हो गए। वीतराग होना हमारे हाथ में हो या न हो पर वीतद्वेष होना तो हमारे हाथ में ही है। प्रतिशोध को कैसे मिटाएँ? प्रतिशोध मिटाने का पहला उपाय है : अपने भीतर सहनशीलता का विकास करें। याद है न, जीसस क्राइस्ट को सूली पर लटकाने में उनके ही दो शिष्यों की प्रमुख भूमिका रही। क्रॉस पर लटकाते समय उनकी अंतिम इच्छा पूछी गई तो उन्होनें उन्हीं दो शिष्यों को अपने सामने बुलाने के लिये कहा। दोनों शिष्यों को जीसस के सामने लाया गया। वे दोनों 105 For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003870
Book TitleChinta Krodh aur Tanav Mukti ke Saral Upay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2012
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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